MB -नई दिल्ली.
केंद्र सरकार की तरफ से प्रदूषण न करने वाले इलेक्ट्रिकवाहनों की खरीद पर छूट देने का ऐलान किया था। इस लिहाज से इलेक्ट्रिक साइकिल के साथ ही आम पैडल वाली साइकिल भी प्रदूषण नहीं करती है। लेकिन इस मामले में सरकार का दोहरा रवैया है। जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक साइकिल पर सबसे कम 5 फीसदी जीएसटी वसूली जाती है। वहीं आम साइकिल पर 12 फीसदी जीएसटी लगाई जा रही है।
मोदी सरकार की मानें, तो भारत में हर आय वर्ग का व्यक्ति रहता है। इसलिए गरीब और मध्यम आय वर्ग के इस्तेमाल में आने वाली जरूरी चीजों पर कम जीएसटी की कम दर लगाई जाती है। लेकिन आम साइकिल पर लगने वाली 12 फीसदी की जीएसटी इस मामले में बिल्कुल अलग है, जिसका आमतौर पर इस्तेमाल कम आमदनी वाले लोग करते हैं। साथ ही इस मामले में सरकार का रुख भी काफी अड़ियल है।वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा को बताया गया था कि सरकार आम साइकिल को 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
ईटी ऑटो की रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यातायात के वाहनों से करीब 24 फीसदी कार्बन उत्सर्जन होता है जो कि प्रदूषण की एक बड़ी वजह है। ऐसे में सरकार को इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कुछ मार्केट एक्सपर्ट भारत सरकार के फैसले के साथ हैं।उनकी मानें, तो इलेक्ट्रिक साइकिल की तुलना आम साइकिल पर कम जीएसटी दरनहीं लगानी चाहिए, क्योंकि इलेक्ट्रिक साइकिल स्कूटर को टक्कर देती हैं, जहां एक तरह आम साइकिल से रोजाना 2 से 3 किमी सफर तय किया जाता है, वहीं इलेक्ट्रिक साइकिल से कहीं ज्यादा दूरी तर की जा सकती है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट आम साइकिल पर लगाई जाने वाली 5 फीसदी जीएसटी दर को गलत मानते हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से प्रदूषण न करने वाले इलेक्ट्रिकवाहनों की खरीद पर छूट देने का ऐलान किया था। इस लिहाज से इलेक्ट्रिक साइकिल के साथ ही आम पैडल वाली साइकिल भी प्रदूषण नहीं करती है। लेकिन इस मामले में सरकार का दोहरा रवैया है। जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक साइकिल पर सबसे कम 5 फीसदी जीएसटी वसूली जाती है। वहीं आम साइकिल पर 12 फीसदी जीएसटी लगाई जा रही है।
मोदी सरकार की मानें, तो भारत में हर आय वर्ग का व्यक्ति रहता है। इसलिए गरीब और मध्यम आय वर्ग के इस्तेमाल में आने वाली जरूरी चीजों पर कम जीएसटी की कम दर लगाई जाती है। लेकिन आम साइकिल पर लगने वाली 12 फीसदी की जीएसटी इस मामले में बिल्कुल अलग है, जिसका आमतौर पर इस्तेमाल कम आमदनी वाले लोग करते हैं। साथ ही इस मामले में सरकार का रुख भी काफी अड़ियल है।वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा को बताया गया था कि सरकार आम साइकिल को 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
ईटी ऑटो की रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यातायात के वाहनों से करीब 24 फीसदी कार्बन उत्सर्जन होता है जो कि प्रदूषण की एक बड़ी वजह है। ऐसे में सरकार को इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कुछ मार्केट एक्सपर्ट भारत सरकार के फैसले के साथ हैं।उनकी मानें, तो इलेक्ट्रिक साइकिल की तुलना आम साइकिल पर कम जीएसटी दरनहीं लगानी चाहिए, क्योंकि इलेक्ट्रिक साइकिल स्कूटर को टक्कर देती हैं, जहां एक तरह आम साइकिल से रोजाना 2 से 3 किमी सफर तय किया जाता है, वहीं इलेक्ट्रिक साइकिल से कहीं ज्यादा दूरी तर की जा सकती है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट आम साइकिल पर लगाई जाने वाली 5 फीसदी जीएसटी दर को गलत मानते हैं।