समीक्षात्मक रिपोर्ट
सौरभ वीपी वर्मा/कुलदीप चौधरी
बस्ती- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ( मनरेगा ) में फर्जीवाड़े का काम रुकने का नाम नही ले रहा है जिसकी वजह से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ मजदूरों तक पहुंचने की जगह प्रधान और मनरेगा योजना से जुड़े जिम्मेदार अधिकारियों को मिल रहा है।
ताजा मामला जनपद के रुधौली विकास खण्ड के रानीपुर एवं सिसवारी खुर्द ग्राम पंचायत का है जहाँ मुट्ठी भर कार्य के नाम पर फर्जी हाजिरी लगाकर सरकारी खजाने से प्रति कार्ययोजना पर लाखों रुपये का गोलमाल किया जा रहा है।
मनरेगा योजना की हकीकत जानने के लिए मीडिया की टीम ने ग्राम पंचायत रानीपुर का स्थलीय पड़ताल किया जहां पर विजय नाथ पाण्डेय के खेत के पास पोखरा खुदाई का काम चल रहा था इसी ग्राम पंचायत में दूसरे कार्ययोजना पर विजय नाथ पांडेय के खेत के पास काम चल रहा था जिसमे 16 मस्टरोल में कुल 145 मजदूरों की हाजिरी भरी गई थी लेकिन मौके पर एक भी मजदूर कार्य करते हुए नही दिखाई दिये । कार्य स्थल पर पहले से मशीनों द्वारा कुछ काम कराया गया पाया गया जिसकी आड़ में प्रतिदिन करीब 34 हजार रुपये का फर्जी हाजिरी लगाकर सरकारी खजाने में सेंधमारी हो रहा है। उसके बाद इसी ग्राम पंचायत के सिसवारी खुर्द ग्राम पंचायत में चल रहे दो कार्यो का पड़ताल किया गया जिसमें सिसवारी खुर्द ग्राम पंचायत के पूरब पोखरे की खुदाई में 8 मस्टरोल के माध्यम से 80 मजदूरों की हाजिरी भरी गई थी लेकिन मौके पर 32 मजदूर कार्य करते हुए पाए गए इसी ग्राम पंचायत के एक दूसरे कार्य पर भीटा माफी गांव के पूरब गड्ढा खुदाई के नाम पर 7 मस्टरोल पर 70 मजदूरों की हाजरी भरी गई थी लेकिन मौके पर पहुंचने के बाद वहां एक भी मजदूर कार्य करते हुए नही पाए गए। इस तरह से दोनोँ ग्राम पंचायत में 295 मजदूरों के नाम पर 69,915 रुपया सरकारी खजाने से निकालने के लिए उपाय तैयार किये गए जबकि सही तौर पर 32 मजदूरों की मौजूदगी के हिसाब से 7584 रुपये का ही कार्य होता पाया गया।
ऐसी स्थिति में मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना में फर्जी हाजिरी और भ्रष्टाचार के मामलों से योजना की साख पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरा सवाल यह भी है कि क्या खण्ड विकास अधिकारी के मिलीभगत के बगैर ही इस तरह के भ्रष्टाचार का अंजाम दिया जा रहा है या फिर मनरेगा योजना से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी द्वारा मिलकर सरकारी धन को हड़पने के लिए फर्जी फोटो अपलोड़ कर फर्जी हाजिरी भरकर लाखो रुपये का गोलमाल किया जा रहा है। मनरेगा योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार तकनीकी उपायों को तेजी से लागू किया जा रहा है लेकिन सरकारी कुर्सी पर बैठे जिम्मेदार लोगों की निरंकुशता और भ्रष्टाचार के चलते वास्तविक लाभार्थियों तक योजना का लाभ नही पहुंच रहा है।