गरीबी एवं बदहाली क्या है इससे क्या फर्क पड़ने वाला है इस देश में एयरकंडीशनर कमरे में बैठे नेताओं ,व्यापारियों ,अधिकारियों और शीर्ष लोगों के सीपा सलाहकारों को । फर्क तो उसको पड़ता है जो दिन भर खेतों में काम करता है और रात में जंगली जानवरों से फसलों की रखवाली करता है उसके बाद भी अपने बच्चों को अच्छा भोजन एवं अच्छी शिक्षा नही दे पाता है ।
इस देश में कई सारे कानून ऐसे बनाये गए जिसमें गरीबी उन्मूलन ,रोजगार गारंटी , स्वास्थ्य , शिक्षा एवं भोजन तक की बात की गई लेकिन आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद आज देश की बहुसंख्यक आबादी उसी लाइन में खड़ी है जहां वह 1950 में खड़ी थी ।
हमने संविधान बनाया ,कानून बनाया ,नियम बनाये , नीति बनाया , उसके बाद इस देश ने विधायक ,सांसद ,मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति बनाया और सब बदलते रहे लेकिन सवाल इस बात का है कि जिन 77 वर्षों में बहुत कुछ बदला गया वहां गरीबों , लाचारों ,किसानों एवं असहाय लोगों के जीवन में बदलाव क्यों नही आया?