समीक्षात्मक रिपोर्ट
सिद्धार्थनगर -ग्राम पंचायत में समग्र एवं समेकित विकास की योजनाओं का खाका तैयार कर सरकार द्वारा भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है ताकि गांव में जर्जर हालात एवं बदहाली को खत्म कर गांव को विकास के पायदान पर शिखर पर लाया जा सके लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता एवं भ्रष्टाचार के चलते ग्राम पंचायत में लाखों रुपया खर्च करने के बाद भी गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं ।
ताजा मामला सिद्धार्थनगर जनपद के डुमरियागंज विकास खंड के सागर रौजा ग्राम पंचायत की है जहां पर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई तो पता चला कि ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन ,मनरेगा , स्वच्छ पेय जल एवं पानी निकासी की व्यवस्था पर लाखों रुपया खर्च किया गया लेकिन सभी योजनाओं भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ चुकी हैं ।
ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाये गए समुदाययिक शौचालय बदहाल स्थिति में दिखाई दिया , शौचलय के अंदर पानी के लिए सप्लाई लाइन तो डलवाई गई लेकिन अभी तक उनमें टोटियों का इंतजाम नही हो पाया है ,
पानी की व्यवस्था के लिए के छोटे नल की व्यवस्था भी है लेकिन उसका हैंडल गायब था इसके अलावा शौचालय के फर्श और शीट पर गंदगियों का जमावड़ा देखने को मिला जबकि केयर टेकर को शौचालय को व्यवस्थित रखने के लिए भुगतान किया गया है ।
इसी योजना के तहत प्राथमिक विद्यालय मझारी में लगभग 1,89,707 रुपया खर्च करके एक शौचालय का मरम्मत करवाया गया लेकिन जिम्मेदार जनों की निरंकुशता एवं घटिया कार्य के चलते पहले से बने इस शौचालय को मरम्मत करने के बाद भी शौचालय प्रयोग में आने से पहले ही दम तोड़ दिया ।
गांव में स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए हैंडपंप मरम्मत एवं रिबोर पर 3,95,433 रुपये का भुगतान लिया गया लेकिन ग्राम पंचायत में लगे कई हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं जिससे स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत में स्वच्छ पेय जल के नाम पर धन का दुरपयोग किया गया है ।
ग्राम पंचायत के लोगों महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार देने की सरकार ने जो व्यवस्था बनाई थी यहां पर यह योजना महज खानापूर्ति एवं बंदरबांट में सिमट कर रह गया है । ग्राम पंचायत में मनरेगा द्वारा तालाब और गड्ढे की सफाई पर तो काफी रुपया व्यय किया गया है लेकिन ग्राम पंचायत में एक ऐसे गड्ढे पर मस्टरोल चल रहा है जिसमें महीनों से पानी भरा हुआ है यानी कि ग्राम पंचायत के धन को खैरात का रुपया मानकर अपने करीबियों के खाते में भेज कर अपनी हिस्सेदारी तय की जा रही है ।
ग्राम पंचायत में स्थित एक और प्राथमिक विद्यालय में शौचालय मरम्मत के नाम पर लगभग 85,976 रुपये का भुगतान लिया गया वहीं पर आंगनबाड़ी के शौचालय के निर्माण पर भी 24000 हजार रुपये का भुगतान किया गया लेकिन स्कूल के अध्यापक द्वारा बताया कि यहां पर महज आंगनबाड़ी के बगल एक शौचालय का निर्माण हुआ स्कूल के शौचालय पर कोई मरम्मत कार्य नही हुआ है ।
सरकार द्वारा कायाकल्प योजना के तहत परिषदीय स्कूलों की दशा को सुधारने का काम किया जा रहा है लेकिन ग्राम पंचायत में स्थिति प्राथमिक विद्यालय मझारी में आज तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ते का निर्माण भी नही हो पाया जबकि इसी स्कूल के बगल से एग्रो रोड़ निर्माण का काम दिखा कर मनरेगा से भुगतान के लिए मस्टरोल वेबसाइट पर दर्ज किया गया है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत में गुरु प्रसाद के घर से गड्ढे से बने नाली निर्माण एवं ढक्कन के का काम मनरेगा से हुआ है लेकिन धन के बंदरबांट के उद्देश्य से उसी नाली पर 98,002 रुपये का भुगतान प्रथम खाते से कर लिया गया।
अब सबसे बड़ा सवाल इस बात का है जब सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों की बदहाली को खत्म करने के लिए राज्य वित्त ,केंद्रीय वित्त एवं मनरेगा के जरिए लाखों रुपये का बजट दिया जा रहा है तब आखिर ऐसी स्थिति क्यों आ रही है कि जब हम आजादी का 75वां महोत्सव मना रहे हैं तब भी भारत के गांवों में बुनियादी सुविधाओं का ढांचा मजबूत क्यों नही हो पाया है ।
इस सम्बंध में खंड विकास अधिकारी अमित कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई गई सभी महत्वकांक्षी योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए मेहनत से काम किया जा रहा है उसके बाद भी अगर ग्राम पंचायत में स्थापित योजनाओं में गड़बड़ी मिलती है तो लापरवाही करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।