पूरी दुनिया के साथ भारत में आये कोविड 19 ने जहां देश भर के सभी संस्थाओं को स्थिल कर दिया है वहीं प्राइमरी से लेकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा देने वाले स्कूल में भी शासनादेश के बाद भी ताला लटका हुआ है। हालांकि अगस्त के मध्य से स्कूल खोलने की बात सरकार कर रही है लेकिन उसपर कोई प्रभावी प्रचार प्रसार होता नही दिखाई दे रहा है ।
ऐसी स्थिति को जानने के लिए तहकीकात समाचार द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सर्वेक्षण किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से दो हजार से ज्यादा लोगों का सैंपल लिया गया । जिसमे प्रदेश के नागरिकों ,अभिभावकों ,शिक्षकों के साथ ही बच्चों द्वारा बताया गया की पूरी तरह से स्कूल का संचालन पहले की तरह होना चाहिए ।
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में 99 फ़ीसदी लोगों ने माना कि स्कूल का संचालन अति आवश्यक है 1 फीसदी लोगों ने माना कि स्कूल को पहले की तरह संचालित किया जाए साथ ही कोविड-19 के प्रति सरकारी गाइडलाइन का पालन भी होना चाहिए ।
67 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि स्कूल के बंद होने से बच्चों की शैक्षणिक और मानसिक स्थिति में काफी गिरावट आई है । अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को स्कूल में जिस तरह से सीखने समझने की क्षमता विकसित होती है उस तरह का क्षमता घर पर नहीं हो पा रहा है ना तो बच्चे पढ़ने में रुचि रख रहे हैं और ना ही उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रेरित कर मिल रहा है इसलिए नियमित तौर पर विद्यालय खुलना अति आवश्यक है ।
10 फ़ीसदी अभिभावकों का मानना है कि बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से जोड़कर पढ़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया लेकिन अभी तक देखने को मिला है कि ऑनलाइन शिक्षा खासकर स्थानीय स्तर पर कोरम पूरा करने का एक साधन बन गया है इसलिए स्कूलों , विद्यालयों और कालेज को खोलकर शैक्षिक व्यवस्था सुधारने की अति आवश्यकता है।