गांधी जी ने स्वराज भारत का सपना देखा था लेकिन इस देश के उदासीन नेता ,निरंकुश प्रशासन और लापरवाह जनप्रतिनिधियों के चलते आज स्वराज का उद्देश्य सरकारी दफ्तरों में रखे गए दस्तवेजों में सिमट कर रह गया है ।
आज जहां देश में प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को महत्व देना चाहिए था,रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए इकाइयों को बढ़ावा देना चाहिए था, चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सुधार करना चाहिए था तो वही प्राथमिकता को दरकिनार कर इस देश में बेबुनियाद मुद्दों पर काम किया गया।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विकसित बनाने के लिए कई सारे दावे किए लेकिन ना तो आदर्श ग्राम पंचायत का सपना साकार हो पाया और ना ही स्मार्ट सिटी की कोई छाया दिखाई पड़ रही है ऐसा दिखाई पड़ता है कि हमारी देश की सरकारों द्वारा हमारे देश के लोगों को केवल गुमराह करने का बार-बार षणयंत्र रचा जाता है जिसके चलते हमारा देश और हमारे देश के लोग वहीं के वहीं पर खड़े हुए हैं जहां वह 7 दशक पहले खड़े थे।