भारत में औरतों को वहशी बताकर वक्त काटना ,और मीडिया ट्रायल से किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाना,चिंताजनक - तहक़ीकात समाचार

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रविवार, 6 सितंबर 2020

भारत में औरतों को वहशी बताकर वक्त काटना ,और मीडिया ट्रायल से किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाना,चिंताजनक

विश्वपति वर्मा -

इस देश के तमाम नेताओं अभिनेताओं समेत देश के लाखों करोड़ों युवा सुशांत सिंह के मौत को लेकर रिया चक्रवर्ती को विलेन साबित करने में लगे हैं ।

इस पर मीडिया ट्रायल भी जमकर हो रहा है , वैसे दुनिया के इतिहास में मीडिया ट्रायल रिया चक्रवर्ती के साथ ही नही हो रहा है ऐसा कई देशों में कई लोगों के साथ हो चुका है लेकिन इसकी सच जानने के बाद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
पहले तो यह जान लीजिए कि मीडिया ट्रायल होता क्या है, मीडिया ट्रायल में न्यायालय में मामला पहुंचने या अपराध सिद्ध होने के पहले या आरोपी होने के पूर्व में मीडिया समूहों द्वारा किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर ठेस पहुंचाने ,किसी की गरिमा को धूमिल करने  के लिए  एक धारण बनाकर एक बड़े कवरेज के माध्यम से एक ही मुद्दे और व्यक्ति पर बार बार सवाल खड़ा करना और उसे कानून व्यवस्था की प्रक्रिया शुरू होने से पहले दोषी करार देना,इसी को मीडिया ट्रायल कहा जाता है।

मीडिया ट्रायल के कई कारण हो सकते हैं जिसमे दो ये भी हैं , एक  सत्ता के इशारे पर  दूसरा किसी व्यक्ति के प्रभाव से ।

यहां मीडिया ट्रायल सरकार की इशारे पर हो रहा है क्योंकि   इस देश की स्थिति बेहद खराब है ,सरकार के पास आय की कमी हुई है ,विदेशी कर्ज का बोझ लगातर बढ़ रहा है, रोजगार उपलब्ध कराने में सरकार फेल है ,छात्रों की समस्या को खत्म करने के लिए सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है ,पूरी अर्थ व्यवस्था चौपट है , इस लिए भारी भरकम रकम देकर सरकार द्वारा देश की जनता को मुद्दे से भटकाने के लिए सुशांत और रिया चक्रवर्ती के मामले को तूल पकड़ाने के लिए चैनलों को जिम्मेदारी सौंपी गई ।

क्योंकि सरकार में बैठे लोगों को पता है कि औरतों को वहशी दिखा कर किसी मामले को एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचाया जा सकता है और भारत  जैसे देश में  इस तरह के मामलों में दिलचस्पी लेना और व़क्त काटना एक बड़ी आबादी की आदत बन चुकी है जिसका फायदा वर्तमान सत्ताधारी मीडिया के जरिये ले रही है।

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