बस्ती-सल्टौआ ब्लॉक के इस ग्राम पंचायत में सरकारी धन का हुआ जमकर बंदरबांट ,अभी तक प्रधान के घर नही बन पाया शौचालय - तहक़ीकात समाचार

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बुधवार, 26 अगस्त 2020

बस्ती-सल्टौआ ब्लॉक के इस ग्राम पंचायत में सरकारी धन का हुआ जमकर बंदरबांट ,अभी तक प्रधान के घर नही बन पाया शौचालय

समीक्षात्मक रिपोर्ट
विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती- सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के माध्यम से गांव में पानी निकासी, सड़क मरम्मत ,स्वच्छ पेय जल ,साफ सफाई ,सड़क का निर्माण, उजाले की व्यवस्था ,स्कूल मरम्मत ,नाली निर्माण ,कृषि एवं स्वास्थ्य सम्बंधित कार्य के अलावा ग्राम्य विकास की तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए भारी भरकम बजट दिया जाता है लेकिन ऊपर से आये हुआ धन धरातल पर पहुंचते पहुंचते 60 फीसदी से ज्यादा बंदरबांट हो जाता है जिसका परिणाम होता है कि गांव और गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से हर बार वंचित हो जाते हैं।

आज हम आपको समीक्षात्मक रिपोर्ट में जिला मुख्यालय बस्ती से 30 किलोमीटर दूर सल्टौआ ब्लॉक के कनेथू बुजुर्ग ग्राम पंचायत में लेकर चलते हैं जहां पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षित श्रेणी की सीट पर 2015 में सुशीला देवी प्रधान चुनी गईं . 
गांव की जरूरत और सरकार की मंशा के अनरूप ग्राम पंचायत के समग्र एवं समेकित विकास के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक 95 लाख 93 हजार 563 रुपया दिया गया जिसमें से 72 लाख 40 हजार 587 रुपया खर्च किया गया जिसमें आवास ,मनरेगा और शौचालय योजना की धनराशि शामिल नही है लेकिन ग्राम विकास और पंचायती राज की योजनाओं के कार्य और निर्माण के नाम पर प्रधान और सचिव के मिलीभगत से सरकारी बजट और जनता के धन को सुनियोजित तरीके से बंदरबांट कर लिया गया।

पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर घोटाला 

ग्राम पंचायत में एक पंचायत भवन बना है पंचायत भवन में आज तक पंचायत से जुड़ी हुई कोई भी कार्यवाही नही की गई लेकिन सरकारी धन को हड़पने के उद्देश्य से पंचायत भवन के मरम्मत और टाइल्स निर्माण के नाम पर 5 लाख रुपये से ज्यादा का धन खर्च किया गया जो मरम्मत के लागत मूल्य से बहुत ज्यादा है।
पंचायत भवन का मरम्मत कार्य फरवरी 2020 में शुरू हुआ जिसमें 52971+46900+53440+28342 रुपया खर्च करने का रिकार्ड भुगतान रशीद संख्या में दिखाया गया उसके बाद इसी महीने में एक बार फिर 52971+46900+53440+28342 रुपये का भुगतान दिखाया गया फरवरी के महीने के बाद मार्च 2020 में भी पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर 1,25,754 + 33090 रुपये का भुगतान किया गया इस प्रकार से पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर 5,51,744 रुपये का भुगतान लिया गया जो प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार की तरफ इंगित करता है।
ग्राम पंचायत के कनेथू बुजुर्ग में प्राथमिक विद्यालय के शौचालय के निर्माण के नाम पर भी जमकर लूट हुआ है .स्कूल शौचालय के नाम पर दिसंबर 2018 में 70384+73305+21000 रुपये का भुगतान लिया गया उसके बाद इसी शौचालय के मरम्मत के नाम पर  फरवरी 2019 में 1,56,795+70097+52500+
22338 रुपये का भुगतान लिया गया इस प्रकार स्कूल के शौचालय मरम्मत के नाम पर कुल 4,66,419 रुपये का भुगतान ग्राम पंचायत के खाते से लिया गया लेकिन शौचालय मरम्मत के नाम पर सरकारी धन को हड़पने के अलावा मौके पर कोई ठोस कार्य दिखाई नही पड़ता।
मार्च 2019 में ग्राम पंचायत में स्ट्रीट लाइट पर 92000 रुपया खर्च किया गया लेकिन ग्राम पंचायत की क्षतिग्रस्त हो चुकी लाइटें यह बता रही हैं की स्ट्रीट लाइट के नाम पर ग्राम पंचायत के पैसे को लूटने के अलावा ग्राम पंचायत के विकास पर कोई खास ध्यान नही दिया गया.

ग्राम पंचायत को स्वच्छ भारत मिशन के तहत भले ही ओडीएफ कर दिया गया है लेकिन गांव की एक बड़ी आबादी आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है ,ग्राम पंचायत में शौचालय निर्माण का काम अभी तक भी पूरा नही हो पाया जबकि सरकारी दस्तावेजों में पूरा गांव खुले से शौच मुक्त हो चुका है।
ग्राम पंचायत के पैसे से सामाजिक कार्य भी होते हैं यह गांव का कोई एक भी आदमी नही जानता लेकिन कनेथू बुजुर्ग ग्राम पंचायत में अक्टूबर और नवंबर 2019 में 25-25 हजार रुपये की 3 किस्तों में 75 हजार रुपया खर्च करने का रशीद दिखाया गया ।
कुर्सी खरीदने के नाम पर 14800 रुपये का भुगतान 

वैसे तो राजनीति के क्षेत्र में कुर्सी के लिए ही लड़ाई लड़ी जाती है लेकिन यह कुर्सी प्रधानी जीतने के बाद ग्राम पंचायत के पैसे से खरीदी जाती है यह जानकारी हमको भी नही था लेकिन अब आपको बता दें कि ग्राम पंचायत में कुर्सी खरीदने के नाम पर वर्ष 2019 में 7400 के साथ 7400 रुपये का भुगतान हुआ है इस प्रकार ग्राम पंचायत में 14800 रुपया कुर्सी खरीदने के लिए भुगतान किया गया लेकिन वह कुर्सी कहाँ है और उसपर कौन बैठता है अभी इसकी जानकारी नही मिल पाई है।

   प्रधान ने लिया पशुशेड योजना का लाभ 
ग्राम पंचायत के गरीब लोगों के आय में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के धन से लोगों के निजी जरूरतों पर भी काम करने की आजादी दे रखी है जिसमे पशुशेड ,मुर्गी फार्म जैसे 10 योजनाओं पर काम किया जा सकता है लेकिन ग्राम पंचायत कनेथू बुजुर्ग में प्रधान के घर के में ही 80 हजार रुपये की लागत से पशु शेड के नाम पर घर का बरामदा बनाकर तैयार कर दिया जो प्राथमिकता के आधार पर प्रधान की जरूरत नही थी।

राजस्व ग्राम बढ़या में पानी निकासी की व्यवस्था जर्जर
ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम बढ़या में पानी निकासी के लिए 10 वर्ष पूर्व नाली का निर्माण करवाया गया था लेकिन आज तक उस नाली की मरम्मत कराए जाने पर विचार नही किया गया जबकि ग्राम पंचायत में नाली निर्माण के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया परन्तु राजस्व ग्राम बढ़या विकास के पावदान छूने के लिए आज भी अछूता है।
कूप मरम्मत पर नही दिया गया ध्यान

आज भले ही आप मिनरल वाटर की बोतल खरीद कर प्यास बुझा रहे हैं लेकिन एक दौर था जब लोगों को पानी की आवश्यकता पूरा करने के लिए कुआं ही एक मात्र सहारा था  परन्तु ग्राम पंचायत में बने इस कुएं को सुरक्षित रखने और घटना दुर्घटना से बचने के लिए आजतक इस कुएं पर एक ढक्कन का निर्माण भी नही करवाया गया जबकि राधेश्याम कहना है कि इस कुएं पर ढक्कन लगाने के लिए जिम्मेदारों से सैकड़ो बार कहा गया।


प्रधान को नही पता कैसे होता है भुगतान

ग्राम पंचायत में कितना पैसा आता है और किस काम के लिए प्रयोग होता है इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए जब हमारी टीम ने सुशीला देवी के साथ बातचीत करना शुरू किया तो उन्होंने परत दर परत पोल खोलना शुरू कर दिया. सुशीला देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत में जो काम होता है वह काम गांव के प्रताप नारायण मिश्र द्वारा कराया जाता है. ग्राम पंचायत के सभी कार्यों को कराने की जिम्मेदारी उन्हीं के पास है. कार्ययोजना और भुगतान भर हस्ताक्षर भी वही लोग करते हैं इसके बारे में मुझे कुछ पता नहीं है उन्होंने बताया कि बहुत दिन हो गया हमने किसी भी कागज पर किसी प्रकार का हस्ताक्षर नहीं किया है. यह बात सुनकर सवाल तो पैदा ही होता है कि आखिर जब प्रधान द्वारा किसी भी कागज पर किसी भी प्रकार का हस्ताक्षर नहीं किया जाता है तो ग्राम पंचायत की योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे होता है और ग्राम पंचायत में आने वाले धन का भुगतान किस प्रकार से कर लिया जाता है इस बात की जवाबदेही तो ग्राम सचिव और जिम्मेदार जनों को देना ही चाहिए .

प्रधान के घर में ही नही बन पाया शौचालय
ग्राम पंचायत के जिम्मेदार जनों को यह सुनकर शर्म तो आना ही चाहिए कि जिस प्रधान द्वारा ग्राम पंचायत के लोगों से हर घर में शौचालय बनवाने का अपील किया रहा है उस प्रधान के घर में आज तक खुद का शौचालय नहीं बन पाया है. ग्राम प्रधान सुशीला देवी ने बताया कि हमारे पास शौचालय नहीं है हम और हमारा परिवार शौच के लिए बाहर जाते हैं अब आने वाले समय में शौचालय का निर्माण करवाना है लेकिन अभी कुछ वक्त और लगेगा ।

रोजगार सेवक और आंगनवाड़ी की पुत्रियों को मिला मनरेगा के भुगतान

गांव के लोगों को उनके घर के आस पास रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा चाहे जितना भी प्रयत्न कर लिया जाए लेकिन पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से कार्ड धारक को काम मिलना छोड़िए ,पंचायत के पैंसे को गबन करने के लिए रोजगार सेवक ,आंगनबाड़ी एवं उनकी बेटियों के साथ पूर्व प्रधान पुत्र एवं कोटेदार के परिवारों  के खाते में मनरेगा का पैंसा डाल दिया गया और तो और वर्तमान प्रधानपति के खाते में भी पैसा जा रहा है।

प्रताप नारायण मिश्र जो गांव के पूर्व प्रधान हैं उनके बेटे गगन के खाते में लगभग 40 हजार रुपये का भुगतान अब तक किया गया है।

प्रधानपति रामप्रसाद तो 2008 से ही मनरेगा के मजदूर हैं लेकिन उनकी पत्नी के प्रधान बनने के बाद भी ये लगातार मनरेगा में एक्टिव हैं वर्ष 19-20 और 20 -21 में प्रधानपति के खाते में लगभग 35 हजार रुपये का भुगतान हुआ है।
इसी के साथ आंगनवाड़ी ,रोजगार सेवक की पुत्रियों को भी मनरेगा का लाभ लगातार मिल रहा है साथ ही ग्राम पंचायत के ऐसे तमाम लोगों को मनरेगा का मजदूर बना दिया गया जो घर की बहू हैं और जीवन में उन्होंने किसी प्रकार की कोई मजदूरी नही की है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि ग्राम पंचायत में हो रहे इतने बड़े भ्रष्टाचार में ग्राम सचिव की भागीदारी कितना है ? क्या ग्राम सचिव ने जानबूझकर सरकारी धन को लुटवाने के लिए गलत तरीके से पैसे का भुगतान किया है?  या फिर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायत में अनैतिक तरीके से जनता के धन को लूटने का तरीका अपनाया गया।

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