विश्वपति वर्मा (सौरभ)
प्रत्येक विकास खण्ड में दर्जनों ऐसी ग्राम पंचायते हैं जहां पर बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार करने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं के तहत सरकार द्वारा 2 से 3 करोड़ रुपये तक की धनराशि आवंटित की गई लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के मिलीभगत से किसी भी ग्राम पंचायत में बेसिक समस्याओं का समाधान भी नही हो पाया है।
सरकार द्वारा हाल के वर्षों में स्वच्छता अभियान के जितने भी कार्यक्रम चलाए गए उसमें बताया तो यह गया कि सरकार की सभी योजनाएं अंतिम व्यक्ति के पास पहुंच बनाने में सफल हुई हैं लेकिन धरातल पर उतर कर देखने के बाद पता चलता है कि शौचालय निर्माण ,पानी निकासी ,नाली निर्माण ,खड़ंजा मरम्मत ,स्वच्छ पेय जल समेत पंचायत की अधिकांश योजनाएं पूरी तरह से फेल है।
बस्ती ,सिद्धार्थनगर ,सीतापुर और बाराबंकी जिले के कई दर्जन ग्राम पंचायतो में खर्च हुए धन और वहां की बदलने वाली व्यवस्था की हमने समीक्षा किया तो पता चला कि सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को बेहिसाब धन दिया गया लेकिन समग्र एवं समेकित विकास के लिए जारी किए गए ग्राम पंचायतों के निधि को ब्लॉक अधिकारियों के मिलीभगत से जनप्रतिनिधियों द्वारा बिना काम कराए ही डकार लिया गया।
बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली 99 ग्राम पंचायत के सापेक्ष 16 ग्राम पंचायतों में आय व्यय के हिसाब को जानने का प्रयास किया गया जिसमें पता चला कि ग्राम पंचायतों द्वारा खड़ंजा मरम्मत, हैंडपंप मरम्मत ,मिट्टी कार्य ,स्ट्रीट लाइट ,बाउंड्रीबाल , शौचालय,आंगनवाड़ी ,मिनी सचिवालय और स्कूल मरम्मत , नाली निर्माण ,तालाब और स्कूल सुंदरीकरण के नाम पर बिना काम कराए ही पैसा निकाल लिया गया। वहीं सरकार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय ,डस्टबिन और सफाई कर्मी किट के नाम पर पैसा निकाल कर बांट लिया गया।
ग्राम पंचायत के इस रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा करने के बाद स्पष्ट है कि पंचायती राज और ग्राम विकास के जिम्मेदार और अधिकारी पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
प्रत्येक विकास खण्ड में दर्जनों ऐसी ग्राम पंचायते हैं जहां पर बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार करने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं के तहत सरकार द्वारा 2 से 3 करोड़ रुपये तक की धनराशि आवंटित की गई लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के मिलीभगत से किसी भी ग्राम पंचायत में बेसिक समस्याओं का समाधान भी नही हो पाया है।
सरकार द्वारा हाल के वर्षों में स्वच्छता अभियान के जितने भी कार्यक्रम चलाए गए उसमें बताया तो यह गया कि सरकार की सभी योजनाएं अंतिम व्यक्ति के पास पहुंच बनाने में सफल हुई हैं लेकिन धरातल पर उतर कर देखने के बाद पता चलता है कि शौचालय निर्माण ,पानी निकासी ,नाली निर्माण ,खड़ंजा मरम्मत ,स्वच्छ पेय जल समेत पंचायत की अधिकांश योजनाएं पूरी तरह से फेल है।
बस्ती ,सिद्धार्थनगर ,सीतापुर और बाराबंकी जिले के कई दर्जन ग्राम पंचायतो में खर्च हुए धन और वहां की बदलने वाली व्यवस्था की हमने समीक्षा किया तो पता चला कि सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को बेहिसाब धन दिया गया लेकिन समग्र एवं समेकित विकास के लिए जारी किए गए ग्राम पंचायतों के निधि को ब्लॉक अधिकारियों के मिलीभगत से जनप्रतिनिधियों द्वारा बिना काम कराए ही डकार लिया गया।
बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली 99 ग्राम पंचायत के सापेक्ष 16 ग्राम पंचायतों में आय व्यय के हिसाब को जानने का प्रयास किया गया जिसमें पता चला कि ग्राम पंचायतों द्वारा खड़ंजा मरम्मत, हैंडपंप मरम्मत ,मिट्टी कार्य ,स्ट्रीट लाइट ,बाउंड्रीबाल , शौचालय,आंगनवाड़ी ,मिनी सचिवालय और स्कूल मरम्मत , नाली निर्माण ,तालाब और स्कूल सुंदरीकरण के नाम पर बिना काम कराए ही पैसा निकाल लिया गया। वहीं सरकार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय ,डस्टबिन और सफाई कर्मी किट के नाम पर पैसा निकाल कर बांट लिया गया।
ग्राम पंचायत के इस रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा करने के बाद स्पष्ट है कि पंचायती राज और ग्राम विकास के जिम्मेदार और अधिकारी पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।