बस्ती: शहर से लेकर गांव तक धड़ल्ले से दौड़ रहीं अनफिट स्कूली बसें, मासूमों की जिंदगी खतरे में
26 जुलाई 2025
सौरभ वीपी वर्मा
संपादक-तहकीकात समाचार
जनपद बस्ती में स्कूल जाने वाले मासूम बच्चों की जिंदगी एक बड़े खतरे से गुजर रही है। शहर हो या गांव, हर जगह अनफिट, ओवरलोडेड और नियमों को ठेंगा दिखाती स्कूली बसें सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। मियाद पूरी कर चुकी गाड़ियां न केवल धुंआ उगलती हैं, बल्कि क्षमता से कहीं ज्यादा बच्चों को लादकर फर्राटा भरती नजर आती हैं।
प्राइवेट स्कूलों द्वारा संचालित अधिकांश वाहनों की हालत जर्जर है। कहीं बस के ब्रेक कमजोर हैं, तो कहीं स्टेयरिंग में दिक्कत, और कई गाड़ियों के पास तो फिटनेस सर्टिफिकेट भी वर्षों पुराना है। लेकिन जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं। न तो शिक्षा विभाग की निगरानी है, और न ही ट्रैफिक पुलिस कोई ठोस कार्रवाई कर रही है।
स्थिति यह है कि एक बस में बैठने की क्षमता 60 बच्चों की है, लेकिन उसमें 100 से 120 बच्चे ठूंसे जा रहे हैं। न सुरक्षा बेल्ट, न फर्स्ट एड किट, और न ही कोई प्रशिक्षित परिचालक। कई बार ड्राइवर भी अयोग्य या शराब के नशे में पाए गए हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।
परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार स्कूली वाहनों को हर 6 महीने पर फिटनेस परीक्षण कराना अनिवार्य है। साथ ही निर्धारित मानकों के अनुरूप गाड़ी में सुरक्षा के सभी उपाय, GPS, कैमरा, फायर एग्ज़िट आदि होने चाहिए, लेकिन बस्ती में ये मानक कागजों तक सीमित हैं।
जब एक स्कूल फीस के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूलता है, तो क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नहीं? और क्या जिला प्रशासन और आरटीओ को भी तब ही जागना है जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए?
जरूरत है सख्त कार्रवाई की, ताकि मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों पर लगाम लग सके और अभिभावक निश्चिंत होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकें।