समीक्षा- कुंभ के चकाचौंध के बीच प्राथमिकताओं को किया गया दरकिनार - तहक़ीकात समाचार

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शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

समीक्षा- कुंभ के चकाचौंध के बीच प्राथमिकताओं को किया गया दरकिनार

प्रयागराज कुंभ मेले से समीक्षात्मक रिपोर्ट

सौरभ वीपी वर्मा
25/01/2025

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े मेले का आयोजन किया गया है जो काबिले तारीफ है। शासन -प्रशासन और मेला प्रशासन सब अलग-अलग तरीके से मेले को भव्य एवं सफल बनाने में जुटे हुए हैं जहां देश दुनिया भर के भारी संख्या में लोग धार्मिक आस्था और पर्यटन की दृष्टि से  पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में उस कुंभ को हमने भी करीब से देखा जो अभी तक वर्चुअल माध्यम से देख रहे थे ।
कुंभ में लोगों को व्यवस्था देने की  उद्देश्य से सर्वप्रथम आवागमन एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है यह स्थानीय प्रशासन का सराहनीय कदम है । सड़कों पर भीड़ को कम करने के लिए संगम घाट के चारो तरफ हर दिन लोहे की चादरों से सड़क बनाने का काम हो रहा है जो ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने में काफी कारगर साबित हो रहा है। जगह-जगह मोबाइल शौचालय एवं प्रसाधन की व्यवस्था भी आगुंतकों के लिए आरामदायक साबित हो रहा है सफाई से जुड़े लोग भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने कर्त्यव्यों का निर्वहन कर रहे हैं जो मेले की सबसे बड़ी सुंदरता है।

लेकिन उन्ही मेले में हजारों की संख्या में पंक्तियों में बैठे भिखारी को देखकर जेहन में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर इस देश में साढ़े सात दशक से किस तरह से गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम चलाया गया कि वह अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के पास नही पहुंच पाया । कुंभ में ऐसे भी दिव्यांग भिखारी दिखाई दिये जिनका व्हीलचेयर टूटा-फूटा है और वह अपने शरीर के कटे-फ़टे अंगों को दिखा कर लोगों से भीख के नाम पर मदद की गुहार लगा रहे हैं ,3 साल से लेकर 13 साल तक के बच्चे भीख मांग रहे हैं जबकि पिछले ढाई दशक से इन अव्यवस्था एवं आभाव को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर दिव्यांग कल्याण एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा कई हजार करोड़ रुपये को खर्च कर वाहवाही के ढोल पीटे गए हैं। बेरोजगारी का आलम यह है कि प्रदेश के कोने-कोने से प्रयागराज तैयारी करने गए छात्र भी मास्क पहनकर लोगों को चंदन लगा रहे हैं , पानी के लिए डिब्बा बेंच रहे हैं ,चाय की फेरी लगा रहे हैं ,चना और स्वीटकॉर्न बेंच रहे हैं और बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसपर सरकार ने प्राथमिकताओं को दरकिनार कर केवल मेले के भव्य आयोजन पर ध्यान दिया।

दुनिया का कोई भी देश केवल बहुत बड़ा मेला लगा लेने से और उसको सफल बना देने से विकसित  नहीं कहा जा सकता है , अगर किसी भी देश की सभ्यता- संस्कृति और वहां की विकास कार्यों को दुनिया के सामने लाना है तो सबसे पहले बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाने के लिए ठोस प्रयास करना होगा अन्यथा जिस देश में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त में राशन दिया रहा है ,जिस देश में गरीब- विधवा और वृद्धाओं को पेंशन दिया रहा है ,जिस देश में अति गरीबों को आवास दिया जा रहा है , जिस देश में लोगों को शौचालय के लिए सहयोग राशि दिया जा रहा है , जिस देश में किसानों को किसान सम्मान निधि के नाम पर सहयोग दिया रहा है , जिस देश में मुफ्त शिक्षा व्यवस्था दी जा रही है , जिस देश में सरकारी अस्पतालों में मुफ्त की चिकित्सा व्यवस्था दी जा रही है ,जहां पर सिलेंडर, साइकिल ,स्मार्टफोन ,लेपटॉप ,स्कूटी ,बिजली पानी भी मुफ्त दी जा रही है वहां पर बड़ी संख्या में लोगों की फटेहाली ,गरीबी एवं बदहाली होना हास्य पद है ।

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