कुलदीप चौधरी
बस्ती- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा रोजगार गारंटी कानून पारित किया गया लेकिन धरातल पर इसका जमकर दुरुपयोग हो रहा है ।
एक तरफ जहां काम देने के बहाने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा कानून को लागू किया गया वहीं इस योजना को क्रियांवित करवाने वाले अधिकारियों से लेकर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा जमकर घोटाले बाजी किया जा रहा है ।
ताजा मामला बस्ती जनपद के रामनगर विकास खण्ड के बरडीहा खास ग्राम पंचायत की है जहां पर बिना काम कराए तीन स्थानों पर जमकर हाजिरी भरी जा रही है । भ्रष्टाचार और सरकारी धन की गबन की बात करें तो 10 अप्रैल से लगभग डेढ़ सौ मजदूरों की हाजिरी भरी गई लेकिन जब 24 अप्रैल को तहकीकात समाचार के संवाददाता ने मजदूरों से रोजगार की उपलब्धता पर बात की तो पता लगा कि उन्हें इस तरह की किसी कार्य के बारे में जानकारी नही है ।
इस जानकारी के बाद संवाददाता ने जब दिखाए गए कार्यों की स्थलीय पड़ताल किया तब पता चला कि ऑनलाइन हाजिरी में ग्राम पंचायत के परसाहवा और ककरहवा पोखरे की साफ सफाई के नाम पर 99 मजदूर काम कर रहे हैं लेकिन मौके पर वहां सब कुछ वीरान था न कोई मजदूर थे और न कोई काम हुआ था ।
भ्रष्टाचार की इस हकीकत की अवगत कराने के लिए जब खंड विकास अधिकारी वर्षा बंग से बात करने का प्रयास किया गया तो दो बार फोन करने पर कोई जवाब नही मिल पाया ऐसे में स्पष्ट है कि बिना काम कराए ऑनलाइन चल रही हाजिरी में ब्लॉक के कर्मचारियों से लेकर के खंड विकास अधिकारी तक का हाथ होता है ताकि भ्रष्टाचार के इस खेल में बंदर बांट कर सरकारी धन से ऐशो आराम किया जा सके।
वहीं मिली जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार के इस खेल में प्रधान से लेकर बीडीओ तक का हाथ होता है जहां ब्लॉक के कई पटल के कर्मचारियों के साथ बीडीओ का कमीशन तय होता है जिसके नाते न तो ऐसे मामलों में कोई स्थलीय जांच होती है और न ही कार्रवाई ।
आखिर सवाल यह है कि जब सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा कानून बनाए गया है तब बिना काम कराए या मशीनीकरण के प्रयोग से कैसे योजना अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पायेगा इसकी जवाबदेही जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों को तय करनी चाहिए ।