किसानों का दर्द और बेशर्म सरकार Pain of farmers and shameless government

सौरभ वीपी वर्मा

650 रुपये में आलू की खरीदारी करने वाली यूपी सरकार के उन तमाम नेताओं और मंत्रियों को इस बात की समीक्षा फिर से करनी चाहिए कि 650 रुपया कुंटल आलू खरीदना यूपी के किसानों के साथ धोखा और छलावा होगा ।
वैसे भी बाबा योगी आदित्यनाथ ने न कभी खेती की है और न ही खेती के मूल्यों की जानकारी हासिल करने की कभी कोशिश किया है , किसान जब एक बीघा जमीन पर आलू की बुआई करता है तब उसका निराई गुड़ाई करने पालने पोषने एवं खुदाई के वक्त तक करीब 45 हजार रुपया खर्च हो जाता है उसके बाद उस जमीन से उसे 60 से 70 कुंटल आलू मिलता है वह भी जब बाबा के आवारा पशुओं से बच जाए तब ।

चलिये मान लीजिए कि आवारा एवं जंगली पशुओं से आलू की फसल बच भी गया और 70 कुंटल की पैदावार भी हो गया तो उसे यूपी सरकार 650 रुपया प्रति कुंटल के हिसाब से खरीद कर किसानों को 45,500 रुपया देगी ,जिसमें सारे लागत मूल्य  काटने के बाद किसानों को मिलेगा मात्र 500 रुपया . 

आप जानते हैं एक बीघा आलू की फसल तैयार करने में किसानों को कितना मेहनत करना पड़ता है ? जब भीषण ठंडी में मुख्यमंत्री ,मंत्री ,विधायक ,सांसद एयरकंडीशनर कमरे में हीटर से गर्मी का आनंद लेते हैं तब उस कड़ाके की ठंड और पाले में आलू के खेत में किसान रात भर हू हू करते हुए अपनी फसलों की रखवाली करता है उसके बाद भी मुख्यमंत्री और मंत्री को शर्म नहीं आती कि वह 650 रुपया कुंटल आलू खरीदने की घोषणा कर देते हैं ।
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