सौरभ वीपी वर्मा
ग्राम पंचायत के प्रधानों ने अपनी पीड़ा बताते हुए तहकीकात समाचार स बताया कि शासन द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर 60-40 के रेशियो से काम करने का प्रावधान बनाया गया है जिसमे 60 फीसदी पैसा कच्चे काम पर खर्च होगा जिसके जरिये गांव के मजदूरों को 100 दिन का रोजगार गारंटी मिल पाए वहीं 40 फीसदी पैसा पक्के काम यानी कि ईंट ,गिट्टी ,सीमेंट आदि पर खर्च करने का प्रावधान है । प्रधानों ने बताया की परियोजना निदेशक द्वारा ब्लॉक के सभी 81 ग्राम पंचायतों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है जबकि उन्हें उन ग्राम पंचायतों के भुगतान पर रोक लगाना चाहिए जहां 60-40 का रेशियो अभी तक पूरा नही हो पाया है।
ब्लाक के कई प्रधानों ने बताया कि अधिकतर ग्राम पंचायतों में 60 -40 का रेशियो दुसरुस्त है लेकिन उसके बाद भी मनरेगा के कार्यों का भुगतान उन गांवों का भी नही हो पर रहा है जिसके चलते वह कर्ज के बोझ के तले लदे हुए हैं।
इस सम्बंध में परियोजना निदेशक कमलेश कुमार सोनी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि National Resource Management (राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन ) के द्वारा मनरेगा के अंतर्गत जल, जंगल और जमीन से जुड़े कार्यों को वरीयता देने का प्रवधान है जिसमें नदी व नाला सफाई, तालाब गहरीकरण, चेकडैम, कूप निर्माण, बंधी आदि के कार्य कराए जाते हैं। इसके अलावा औषधीय व फलदार पौधों का रोपण करते हैं, खेत समतलीकरण, जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही नेडेप, कंपोस्ट बनाने का प्रावधान है। परियोजना निदेशक ने बताया कि शासन की मंशा के मुताबिक रामनगर ब्लाक में 65 प्रतिशत कार्य इसके तहत होने चाहिए जो अभी नही हुआ इसी लिए ब्लॉक के 81 ग्राम पंचायतों के भुगतान पर रोक लगा दिया गया है।