यह कैसा गणतंत्र? एक आदमी प्रतिदिन एक हजार करोड़ कमाता है और एक को 202 की मजदूरी - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

बुधवार, 26 जनवरी 2022

यह कैसा गणतंत्र? एक आदमी प्रतिदिन एक हजार करोड़ कमाता है और एक को 202 की मजदूरी

सौरभ वीपी वर्मा

26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू होते ही देश में कानून का राज स्थापित हो गया । आज 73 वर्ष बाद भारत में कार्यपालिका , विधायिका और मीडिया का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है उससे लगता है कि भारत में कानून का नहीं राजा रजवाड़ों का हुकूमत चल रहा है ।

भारतीय संविधान में समता , स्वतंत्रता , बंधुता एवं न्याय आधारित समाज की स्थापना करने की प्रतिज्ञा नेताओं ,अधिकारियों , कर्मचारियों एवं सरकारों द्वारा ली जाती है लेकिन अनेक मौकों पर देखा गया है कि नियम और कानून को ताक पर रखकर इस देश में नेता नगरी और सत्ताधारी द्वारा अपना हुकूमत चलाया जा रहा है।

किसी देश के विकास में जिस तरह टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है , ट्रेन और मेट्रो की आवश्यकता है , अच्छे स्वास्थ्य एवं शिक्षा की आवश्यकता है उसी प्रकार से देश की कंपनियों एवं फैक्ट्रियों को चलाने के लिए मजदूरों की भी आवश्यकता है । लेकिन दुर्भाग्य है इस देश के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्तियों की जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं । 73 साल का समय बीत जाने के बाद भी आज  भारत में मजदूरों की जो स्थिति है वह बेहतर चिंताजनक है ।

ईट भट्ठा पर काम करने वाले मजदूर और उनके बच्चों की जो स्थिति देखने को मिलती है शायद ही एयर कंडीशनर कमरे में बैठने वाला नेता , मुख्यमंत्री  ,मंत्री प्रधानमंत्री एवं न्यायाधीश उसकी इस हालात को देखता होगा । देश की कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों की जो स्थिति है वह भी काफी चिंताजनक है लेकिन इस देश की व्यवस्था इतनी कमजोर और  निर्मम हो गई है कि मजदूरों के साथ हो रही बर्बरता को देखने के लिए कोई तैयार नहीं है ।

उन्ही मजदूरों के दम पर लोग धन्ना सेठ बने जा रहे हैं उन्ही मजदूरों के दम पर देश में सरकार बन रही हैं । उन्हीं मजदूरों के दम पर देश के शहरों , नगरों एवं पंचायतों में चकाचौंध नजर आ रही है लेकिन उन मजदूरों की हालत पर कोई चर्चा नहीं हो रही है ।

आखिर भारत का कानून इतना कमजोर कैसे हो गया कि एक आदमी दिन भर में 1002 करोड़ रुपए की कमाई करता है और दूसरे आदमी को ₹202 रुपया प्रतिदिन की कमाई पर उसे जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । आखिर एयर कंडीशनर कमरे में बैठने वाले मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को यह बात क्यों नहीं दिखाई देती कि 1 आदमी 1 दिन में ₹1000 करोड़ रुपये की कमाई करता है और दूसरा आदमी जो मजदूर है और दिन भर में ₹28 रुपया खर्च कर रहा है तो वह अमीर माना जा रहा है । क्या  यह देश के बेहतर कानून का राज है या फिर राजा राजवाड़ा जैसी व्यवस्था ।

IIFL Wealth Hurun India की एक रिपोर्ट में बताया गया है वर्ष 2021 में गौतम अडानी ने  प्रतिदिन 1002 करोड़ रुपये की कमाई की है वहीं देश के सबसे रईस व्यक्ति मुकेश अंबानी ने प्रतिदिन 163 करोड़ रुपये की कमाई की है। ठीक इसी प्रकार से देश में 80 से ज्यादा लोग हैं जिनकी दिन भर की कमाई 10 करोड से लेकर के 100 करोड़ रुपए तक की है । अब इस बात पर चिंतन और मंथन होना चाहिए कि जब एक आदमी एक हजार करोड़ रुपया रोज कमाता है तो उसी देश के मजदूर की कमाई भी कमसे कम 1000 रुपया तो होनी ही चाहिए । अथवा  मंच मीडिया एवं लाल किले के सामने से यह कहना हास्यप्रद होगा कि देश में कानून का राज स्थापित है।

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages