बेकारी और बर्बादी के दौर से गुजर रहा भारत , नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं को कोई चिंता नहीं - तहक़ीकात समाचार

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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

बेकारी और बर्बादी के दौर से गुजर रहा भारत , नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं को कोई चिंता नहीं

सौरभ वीपी वर्मा
आज साल 2021 का कैलेंडर खत्म हो रहा है कल से हम वर्ष 2022 में प्रवेश कर नए वर्ष की शुरुआत करेंगे । इस नए वर्ष में सबसे पहले केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के दावे के अनुसार किसानों का आय दोगुना हो रहा है उसके बाद क्या कुछ बदलेगा ये हम लोग अपनी आंखों से देखेंगे । लेकिन एक चर्चा बीते साल पर होना चाहिए जिससे पता चले कि वर्ष 2021 ने हमे क्या दिया है।
वर्ष 2021 की बात करें तो भारत बेकारी और बर्बादी के दौर से गुजरा है इसके अलावा देश की हुकूमत ने अपने नागरिकों को जीवन जीने और उसे सार्थक बनाने के लिए कोई ठोस काम नही किया ।

 वर्ष 2021 में ( कुछ वर्ष 18,19 ,20 में शामिल) भारत सरकार ने कई दर्जन राष्ट्रीय संपति को बेंच दिया जिसमें मुख्य रूप से भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) एयर इँडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन, IDBI बैंक, BEML और पवन हंस ,नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड ,कोल इंडिया ,सेल ,नाल्को लिमिटेड ,एनटीपीसी ,हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ,भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ,मिश्र धातु लिमिटेड ,इरकान इंटरनेशनल लिमिटेड , 28 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग , समेत उन तमाम संस्थाओं को बेंच दिया जो भारत की दुधारू गाय थी ।

जब पूरी दुनिया स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर चिंतित है तब भारत सरकार द्वारा देश में शिक्षा और चिकित्सा के प्रति कोई ठोस कदम नही उठाया गया नतीजन भारत में शिक्षा चिकित्सा की जो व्यवस्था संचालित थी वह भी औंधे मुंह गिर पड़ा और देश के नागरिक स्वास्थ्य और शिक्षा की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए हताश और परेशान नजर आ रहे हैं। सरकार यदि नागरिकों की चिंता कर रही है तो उसे शिक्षा और चिकित्सा को या तो पूरी तरह से राष्ट्रीयकरण कर देना चाहिए या फिर निजीकरण ।आधे अधूरे योजना से पूरी व्यवस्था विचलित हो गई है।

अभी ऊपर की लाइन में हमने बताया है कि 2022 से यानी कल से किसानों की आय दोगुना हो रहा है लेकिन हमारे समझ में यह बात नही आ रहा है कि आखिर किसानों का आय दोगुना कैसे और कितना होगा ? किसान अपने फसलों को बेचने के लिए परेशान है लेकिन जब बड़े व्यापारी आलू ,प्याज ,लहसुन ,दाल को खरीदते हैं तो उसका औने पौने दाम मिलता है लेकिन जब किसानों के पास ये फसल नही रह जाता तब यही आलू 50 रुपया और प्याज 200 रुपये में खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है । अगर सरकार निश्चित रूप से किसानों का आय दोगुना करना चाहती है तो वह सभी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करे एवं उसे खरीदने और उसके निर्यात की व्यवस्था पर बल दे ।

रोजगार की बात करें तो यह देश न तो रोजगार उपलब्ध करा पा रहा है और ना ही रोजगार के साधन भारत में हजारों करोड़ों रुपए के कील ,कांटी , झालर  ,बत्ती 
 मोबाइल, बैटरी ,चार्जर ,टार्च ,खिलौना ,आदि का आयात विदेश से हो रहा है जबकि भारत एक ऐसा देश है जहां पर संसाधनों की व्यवस्था करने से यहां पर सारे सामानों का उत्पादन और निर्माण हो सकता है लेकिन सरकार को इस बात पर चिंता नहीं है कि जहां  बढ़ती बेरोजगारी से वैश्विक स्तर पर देश की छवि खराब हो रही है वहीं देश में गरीबों की संख्या में उछाल आ रहा है ।

हमने यहां जिन- जिन विषयों पर बात की है यह एक गंभीर मुद्दा है इस मुद्दे का समाधान किए बगैर देश का विकास किसी भी कीमत पर संभव नहीं है , देश के नेता देश के पैसे को बजट में पेश करके धन का बंदरबांट कर रहे हैं , गरीब जनता को मिलने वाले लाभ के पैसे से बड़ी बड़ी रैलियों का आयोजन कर रहे हैं अपने बच्चे बच्चियों के लिए आलीशान मकान , होटल, कंपनी ,मीडिया हाउस खोल रहे हैं लेकिन इस देश के नागरिकों को झूठ, फरेब ,जाति धर्म , हिंदू , मुस्लिम  आदि के नाम पर बांट कर उन्हें मझदार में खड़ा कर चुके हैं । खैर आने वाले 2022 में यह देश- प्रदेश विकास के किस पायदान पर खड़ा होगा यह हमें 12 महीनों तक एक बार फिर देखना है ।

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