सौरभ वीपी वर्मा
पीयूष जैन ने भाजपा नेता को चुनाव लड़ने के लिए चंदा दे दिया होता तो न तो पीयूष जैन के यहां छापा पड़ता और न ही गोदी मीडिया में हाय तौबा होता । इस देश में पीयूष जैन जैसे सैकड़ों हजारों नही बल्कि लाखों लोग ऐसे हैं जो 100 ,200 ,300 करोड़ रुपये की नगदी और सोना चांदी दबाए बैठे हुए हैं लेकिन ये सब सत्ता सरकार को चुनावी मौसम में मोटा चंदा देते हैं इसलिए ये सरकार और मीडिया की नजरों से ओझल कर दिए जाते हैं।
वैसे भी ये सब सरकार की नाकामी है जो एक -एक आदमी 5 -5 सौ करोड़ रुपये की संपत्ति बनाये बैठे हुए हैं , जबकि 82 करोड़ गरीब जनता को 95 रुपये का अनाज देकर महीने भर के लिए चुप कर दिया जाता है , पीयूष जैन का क्या वह तो 53 करोड़ रुपए टैक्स चुकाने के बाद फिर सारी संपत्ति का मालिक बन जायेगा और वह खुली हवा में आराम फरमा रहा होगा । लेकिन सवाल उन हुक्मरानों पर खड़ा होता है कि आखिर जब आपके पास इनकम टैक्स विभाग है ,लोकल इंटेलिजेंस ब्यूरो है तब वह क्या कर रहा होता है जब लोग दौलत की ढेर पर बैठते चले जाते हैं।
अमित शाह का बेटा जय शाह रातों रात 6000 की कंपनी से 80 करोड़ का मालिक बन जाता है तब इस देश में कोई खलबली नही मचती है , 1 लाख रुपया महीना वेतन भत्ता पाने वाला हर विधायक सांसद 40 -40 लाख के फॉर्च्यूनर गाड़ी से चलता है तब यह बात इस देश के सीबीआई , ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नही दिखाई पड़ती है कि यह पैसा आखिरकहां से आ रहा है । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक जनसभा को सम्पन्न करवाने के लिए 23 करोड़ रुपया खर्च किया जाता है तब इस देश की न्यायपालिका और मीडिया सवाल नही पूछती है कि आखिर एक व्यक्ति के लिए इतने पैसे को बर्बाद करने की जरूरत क्यों पड़ी । सच तो यह है इस देश की जनता को लूट कर उनके खून पसीने की कमाई को चूसकर इस देश के नेता ऐसो आराम की जिंदगी जी रहे हैं और जनता वेंटिलेटर पर पड़ी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है।