ऑपरेशन लूटपाट - जानिए मनरेगा के पैसे का कैसे हो रहा बंदरबांट - तहक़ीकात समाचार

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रविवार, 21 नवंबर 2021

ऑपरेशन लूटपाट - जानिए मनरेगा के पैसे का कैसे हो रहा बंदरबांट

सौरभ वीपी वर्मा

जिस मनरेगा योजना से हिन्दुस्तान की तस्वीर बदलने और रोजगार पैदा करने के सपने को देखा गया था आज उसकी जमीनी हकीकत देखेंगे तो आप चौंक जाएंगे । तहकीकात समाचार द्वारा मनरेगा योजना की हकीकत जानने के लिए योजना द्वारा कराए गए कार्यों की पड़ताल की गई तो पता चला कि इस योजना का 70 फीसदी पैसा केवल कमीशनखोरी और बंदरबांट में खत्म हो जा रहा है।
मनरेगा द्वारा कच्चा काम करवाये जाने के प्रावधान ने भ्रष्टाचार और बढ़ा दिया है , रोजगार सृजन करने के लिए जिस कच्चे काम के लिए शासन द्वारा नियम बनाया गया है अब वहां तो मशीनें काम कर रही हैं  । अभी हाल ही के द्वारा कराए गए मनरेगा योजना के कार्यों की समीक्षा करने पर पता चला है कि ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा नाला खुदाई और उसकी साफ-सफाई , वृक्षारोपण सड़कों की पटरियों की साफ-सफाई एवं चक मार्ग की पटाई का काम किया गया है । इन कार्यों को देखने के बाद ऐसा स्पष्ट हुआ है कि ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों पर कुछ भी नया नहीं है यहां तो बस योजना के पैसे को हथियाने के लिए कागजों में कोरम पूरा करना है ।
सल्टौआ ब्लॉक के औड़जंगल , अजगैवाजंगल ,अमरौली शुमाली ,पड़री ,परसा लंगड़ा ,घुरहुपुर समेत दर्जनों ऐसे ग्राम पंचायत हैं जहां पर पिछले कई वर्षों से मनरेगा योजना के नाम पर जमकर पैसा खर्च किया गया है लेकिन इन ग्राम पंचायतों में रोजगार और विकास का पायदान सबसे निचली सतह पर दिखाई देता है।

 ग्राम पंचायतों में जिन लोगों के खाते में पैसा जा रहा है उन्हें यह भी नहीं पता है कि उनके खाते में जो पैसा आया है वह किस योजना का पैसा है , ग्राम पंचायत में कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिनके घर की बहू और बेटियों के खाते में पैसा जा रहा है कई परिवार ऐसे भी हैं जिनकी  अच्छी हैसियत है और उनके घर के लोगों को मनरेगा का भुगतान मिल रहा है ।

कैसे होता है मनरेगा के पैसे का बंदरबांट

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि मनरेगा के पैसे का बंदरबांट कैसे होता है तो आइए आपको बताते हैं उस धन को किस तरह से मिलजुलकर बांटी जाती है । 

मान लीजिए किसी ग्राम पंचायत में एक लाख रुपये की कार्य को कराने की स्वीकृति दी गई है तो उसमें सबसे पहले खंड विकास अधिकारी का कमीशन 10 से 12 प्रतिशत ,सचिव का कमीशन 5 से 7 प्रतिशत , जेई का कमीशन 5 से 7 प्रतिशत , एनआरपीबाबू  का कमीशन 2 से 3 प्रतिशत इसके अलावा जिन जॉबकार्ड धारकों के खाते में पैसा गया है उसे भी 20 से 25 प्रतिशत अपना हिस्सा चाहिए इस हिसाब से लगभग 50 फीसदी पैसा तो बंदरबांट में चला जाता है बचे 50 फीसदी पैसे में प्रधान द्वारा जिस काम के नाम पर पैसा निकलवाया गया है उसपर भी कोरम पूरा करने के लिए 5-10 हजार रुपया ठेके-पट्टेदारों या ट्रैक्टर वालों को देकर कोरम करवाना होता है इसके बाद बचे हुए पैसे पर प्रधान का कब्जा होता है तो इस तरह से मनरेगा के धन का बंदरबांट हो रहा है।

ऑपरेशन लूटपाट के अगले भाग में हम आपको यह भी बताएंगे की ग्राम पंचायतों में किन-किन लोगों के खाते में पैसा जा रहा है जो मजदूर नहीं हैं ,आप पढ़ते रहिए तहकीकात समाचार ।

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