केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, राम विलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 74 वर्षीय राम विलास पासवान की कुछ दिनों पहले ही दिल की सर्जरी भी हुई थी।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन की सूचना उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने दी।
Ramvilash-paswan रामविलास पासवान देश के ऐसे राजनेता रहे जिन्हें जानने समझने की जरूरत है। क्योंकि वह एक ऐसे परिवार से निकले जहां काफी आर्थिक तंगी थी। दलित समाज के इस बड़े नेता के राजनीति में आने का भी दिलचस्प किस्सा है।
युवा अवस्था में रामविलास पासवान सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर डीएसपी बन चुके थे उसी बीच 1969 के मध्यावधि चुनाव की हलचल थी। खगड़िया जिले के अलौली विधानसभा सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को प्रत्याशी की तलाश हो रही थी।
नौकरी ज्वाइन करने के बाद उनकी मुलाकात कुछ समाजवादियों से हुई रामविलास की प्रतिभा देखकर उन्होंने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
बड़ी मशक्कत के बाद रामविलास पासवान को नौकरी मिली थी, इस वजह से उनका मन डगमगा रहा था। वह राजनीति में नहीं जाना चाहते थे। लेकिन समाजवादी नेताओं ने उन्हें समझाया कि राजनीति में जाओगे तो केवल अपना ही नहीं पूरे समाज का भला कर पाओगे। यह बात रामविलास पासवान को अंदर तक झकझोर गई और वह अलौली विधानसभा सीट से चुनाव में उतर गए।
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एसएसपी ने रामविलास पासवान को चुनाव के मैदान में उतारा। सामने कांग्रेस के नेता मिश्री सदा थे। प्रचार के मामले में रामविलास पासवान मिश्री से काफी पीछे थे क्योंकि इनके पास पैसों की किल्लत थी। जैसे तैसे साइकिल से पूरा चुनाव प्रचार किया गया। हालांकि चुनाव परिणाम आने पर उनका फैसला सही साबित हुआ और वह विधायक बन गए। पासवान को 20330 वोट आये, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मिश्री सदा को 19424 वोट मिले थे। इस तरह राम विलास पासवान की राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
विधायक बनने के आठ साल बाद पासवान ने जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा. तब पासवान 4.25 लाख वोट से जीते थे. यह पासवान का वर्ल्ड रिकॉर्ड था. 1989 में रामविलास पासवान ने फिर से हाजीपुर से जीत दर्ज की थी. इस बार उन्हें 5.05 लाख वोट मिले. उन्होंने खुद अपना पुराना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा जाता था. शायद यही वजह है कि वो पिछले तीन दशकों में पीवी नरसिम्हा राव को छोड़कर सभी प्रधानमंत्रियों की मंत्रिपरिषद में शामिल रहे हैं. फिलहाल वो मोदी सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे. उन्होंने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी बनाई थी. इससे पहले वो बिहार में दलित सेना नाम का संगठन भी चला रहे थे.