सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीट-जेईई स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का किया फैसला - तहक़ीकात समाचार

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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीट-जेईई स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का किया फैसला

कोरोना वायरस महामारी की स्थिति को देखते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए ली जाने वाली नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) और जेईई (जॉएंट एंट्रेंस एक्जाम) स्थगित करने की मांग का समर्थन करते हुए विपक्ष शासित प्रदेशों के सात मुख्यमंत्रियों ने बीते बुधवार को फैसला किया कि वे इस मुद्दे पर संयुक्त रूप से उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे.
हालांकि कोविड-19 की वजह से परीक्षा स्थगित करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका को बीते 17 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था.विभिन्न राज्यों के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि कोरोना के मद्देनजर इन्हें रद्द किया जाना चाहिए. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा करने से छात्रों का करिअर संकट में पड़ जाएगा.द्रमुक और आम आदमी पार्टी ने भी कोरोना संकट के समय इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग का समर्थन किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ डिजिटल बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि इन परीक्षाओं को रोकने के लिए राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए.हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि न्यायालय जाने से पहले मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर परीक्षाओं को टालने की मांग करनी चाहिए.

जीएसटी के मुआवजे की मांग से जुड़े मुद्दे पर हुई इस बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि हालात के सामान्य होने तक इन परीक्षाओं को स्थगित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में जाना चाहिए.पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले और बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सवाल किया कि आज कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है और संकट बढ़ गया है तो परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं?राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने भी इन परीक्षाओं को स्थगित करने की पैरवी की और केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ न्यायालय का रुख करने के विचार से सहमति जताई.उधर, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नीट और जेईई की परीक्षाएं स्थगित करने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से छात्रों के चयन के लिए वैकल्पिक पद्धति पर काम करने का अनुरोध किया.सिसोदिया ने कहा, ‘तमाम एहतियाती कदम उठाने के बावजूद बहुत सारे शीर्ष नेता संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. ऐसे में हम 28 लाख छात्रों को परीक्षा केंद्र भेजने का जोखिम कैसे उठा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे इसकी चपेट में नहीं आएंगे.

द्रमुक के मुखिया एमके स्टालिन ने इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए.गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बीते मंगलवार को कहा कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मेन) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) तय कार्यक्रम के अनुसार सितंबर में ही आयोजित की जाएंगी.गुरुवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘जेईई के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 570 से 660 कर दी गई है, जबकि नीट के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 2,546 से 3,842 कर दी गई है. छात्रों को उनके पसंद के परीक्षा केंद्र आवंटित कर दिए गए हैं.

गौरतलब है कि परीक्षार्थियों और उनके माता-पिता ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से परीक्षा स्थगित करने की मांग की है.बीते मंगलवार को स्वीडन की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी इस मुद्दे पर कहा था कि यह उचित नहीं है कि भारत के छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान राष्ट्रीय परीक्षा देना पड़ रही है और जब लाखों लोग बाढ़ से भी प्रभावित है.उन्होंने कहा, ‘मैं कोविड के दौरान जेईई-नीट परीक्षा टालने के आह्वान का समर्थन करती हूं.’ये परीक्षाएं कोरोना महामारी की वजह से इस साल दो बार स्थगित हो चुके हैं. हालांकि, छात्र एक बार फिर परीक्षाओं को टालने की मांग कर रहे हैं.

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