बस्ती-भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर एक दर्जन लोगों पर सोनहा थाने में दर्ज हुआ मुकदमा

विश्वपति वर्मा-

बस्ती- या तो आम जनता शासन प्रशासन की निरंकुशता और भ्रष्टाचार के प्रति खामोश रहे या फिर फर्जी मुकदमे में जेल जाने के लिए तैयार रहे कुछ ऐसी ही कहानियां अब तैयार होने लगी हैं क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अब जुर्म हो गया है।

जी हां... सही सुन रहे हैं आप ताजा मामला बस्ती जनपद के सोनहा थाना अंतर्गत जगदीशपुर उर्फ नवगढ़वा ग्राम पंचायत का है जहां पर आवास के लिए जमीन आवंटन के नाम पर लेखपाल रविचन्द्र श्रीवास्तव पर धन उगाही करने का आरोप ग्राम वासियों ने लगाया था ।

ग्राम वासियों का आरोप था कि लेखपाल रवि श्रीवास्तव  आवास के लिए जमीन आवंटन के नाम पर ₹20000 से लेकर एक लाख रुपये तक रिश्वत ले रहे हैं ,लेखपाल के इस कारनामे के बाद गांव वाले खिलाफत करने लगे और इसका पुरजोर विरोध करते हुए स्थानीय प्रशासन को लिखित शिकायत दिया उसके बाद मीडिया में खबर पहुंचने के बाद लेखपाल को गांव से हटा दिया गया लेकिन लेखपाल रवि श्रीवास्तव द्वारा बाद में ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया गया

युवा किसान संगठन के जिला अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि लेखपाल द्वारा सरकारी अभिलेखों को फाड़ने और अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कुलदीप कुमार पुत्र रामधन , उमेशचन्द पुत्र रामलौट , रामसुरेश पुत्र रामअवध , अमित ग्रा कुमार , अजय कुमार पुत्रगण छोटेलाल , रामकेवल पुत्र रामदुलारे , सुरेन्द्र पुत्र परशुराम , त्रिभुवन पुत्र बाबूराम , श्यामधर पुत्र वंशराज , श्यामचन्द्र पुत्र रामभवन , रामअवतार पुत्र झिनकान , संजय कुमार पुत्र मुन्ना चौधरी निवासीगण ग्राम भीवापार के खिलाफ सोनहा थाने में तहरीर दी गई जहां पुलिस ने  धारा 147,353 , 504,506,427 आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया है । 

संजय चौधरी ने बताया कि लेखपाल के खिलाफ आवाज उठाने पर फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज करवाया गया है उन्होंने कहा कि न तो कोई अभिलेख फाड़ा गया है और न ही गाली गलौज हुआ है। 

युवा किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरीश पटेल ने कहा कि स्थानीय प्रशासन जनता के साथ रिश्वतखोरी और बोलने पर बर्बरता कर रही है जो बर्दाश्त नही है उन्होंने कहा कि यदि ग्रामीणों के ऊपर लगे फर्जी मुकदमों को वापस नही लिया गया तो हजारों की संख्या में युवा किसान संगठन के लोग तहसील और जिला मुख्याल पर आमरण अनशन के लिए मजबूर होंगे।
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