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मंगलवार, 11 अगस्त 2020

बस्ती-घूँघट की आड़ में महिला प्रधान का ग्राम पंचायत के धन में डाका ,लाखो का फर्जी भुगतान

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती- देश के गांवों के समग्र एवं समेकित विकास के नाम पर सरकार द्वारा भले ही करोड़ो अरबो रुपये का बजट बनाया जाता है लेकिन निचली इकाई में व्यापत भ्रष्टाचार के चलते गांव के लोग 21वीं सदी में भी नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

आज हम आपको समीक्षात्मक रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के अंतर्गत रामनगर ब्लॉक में लेकर चलते हैं जहां घूँघट में रहने वाली महिलाओं के नाम भी भ्रष्टाचार के खूब सारे सबूत दिखाई देते हैं हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत मझारी की महिला प्रधान रीतू देवी की जिसने ग्राम पंचायत के विकास के पैसे का जमकर घोटाला किया है।
                       ग्राफिक फोटो
महिला प्रधान रीतू देवी ने कितने शातिराना अंदाज में पैसे को हड़पा है यह देख अधिकारी भी गच्चा खा जाएंगे .ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण ,सड़क निर्माण ,सोलर लाइट निर्माण ,हैंडपंप मरम्मत ,सड़क मरम्मत ,मनरेगा योजना ,प्रशासनिक कार्य और सफाई कर्मी किट के नाम पर केवल वित्तीय वर्ष 2019-20 में 20 लाख से ज्यादा रुपये के धन का बंदरबांट हो गया जिसका परिणाम है कि गाँव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं।

गौशाला निर्माण में धांधली

ग्राम पंचायत में छुट्टा पशुओं को आश्रय देने के लिए वर्ष2019 में गौशाला का निर्माण करवाया गया गौशाला निर्माण पर ग्राम पंचायत के खाते से 3 लाख44 हजार 429 रुपया खर्च किया गया लेकिन मौके की स्थिति देखने के बाद पता चलता है कि गौशाला निर्माण पर 1 से लाख रुपया मात्र खर्च किया गया है इसके अलावा गौशाला के अंदर तालाब निर्माण ,सड़क निर्माण और वृक्षारोपण के नाम पर भी 2 लाख रुपया अलग से खर्च किया गया है .इसी गौशाला में सोलर लाइट निर्माण के नाम पर  अक्टूबर 2019 में 22500 रुपया खर्च किया उसके बाद इसी गौशाला में नवंबर 2019 में एक बार फिर 22500 रुपया खर्च दिखाया गया उसके बाद दिसंबर 2019 में भी 22500 रुपया सोलर लाइट के नाम पर निकाला गया लेकिन मौके की पड़ताल में वहां घटिया किस्म की एक सोलर लाइट लगा हुआ मिला जिसका बाजार भाव मात्र 12 हजार रुपया है।
हैंडपम्प मरम्मत के नाम पर केवल धन निकासी

ग्राम पंचायत में लोगों को स्वच्छ जल मिले इसके लिए ग्राम निधि से बंद पड़े और दूषित जल देने वाले हैंडपम्प को मरम्मत करने का प्रावधान है लेकिन शातिर महिला प्रधान ने हैंडपम्प मरम्मत के नाम पर केवल जनवरी 2020 से लेकर जुलाई 2020 तक 184717 रुपये का भुगतान लिया जबकि गांव में कई लोगों के घर के सामने लगाए गए हैंडपम के बारे में बात करने पर पता चला कि हैंडपम का मरम्मत पिछले सालों तक मे भी नही हुआ है।
सफाईकर्मी किट में घोटाला

ग्राम पंचायत में साफ सफाई की मुकम्मल व्यवस्था रखने के लिए सफाई कर्मी किट के नाम पर वर्ष 2020 में 37770 रुपये का भुगतान लिया गया लेकिन इस पैसे से   ग्राम पंचायत में मात्र 10 डस्टबिन लगवाया गया जो मात्र केवल पैसा लूटने के उद्देश्य से किया गया मौके पर लगवाए गए डस्टबिन का न तो कोई प्रयोग है न ही कोई मतलब  लगवाए गए 10 डस्टबिन का बाजार भाव भी अधिकतम 10 हजार  रुपया है।

शौचालय निर्माण में जमकर घोटाला लाभार्थियों का पैसा चला गया ठीकेदार की जेब मे 

ग्राम पंचायत में शौचालय निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार के साथ मानवता की सारी हदें पार हो गई हैं  स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर ग्राम पंचायत को भले ही ओडीएफ कर दिया गया है लेकिन सच तो यह है कि गांव में प्रधान के मिली भगत से लाभार्थियों के धन को ठग लिया गया जिसके चलते गांव के दर्जनों लोग शौचालय से वंचित हो गए ग्राम पंचायत की इंद्रावती देवी ने बताया कि उन्हें 12 हजार रुपये का चेक मिला था जिसे प्रधान पति ने यह कहकर दूसरे लोग को दिलवा दिया कि जल्द ही तुम्हारा शौचालय बन जायेगा लेकिन सालों बीत जाने के बाद आजतक उनका शौचालय नही बना पाया इसी गांव के 80 वर्षीय बेकारू यादव अपने शौचालय का गड्ढा दिखाते हुए रो पड़े .उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से हमे 12000 रुपये का चेक मिला था लेकिन दो लोग आये और यह कहकर पैसा लेकर चले गए कि प्रधान पति ने हमे शौचालय बनवाने का ठेका दिया है लेकिन आज तक शौचालय बनने के इंतजार में हम आस लगाए बैठे हैं।
       शौचालय का गड्ढा दिखाते 80 वर्षीय बुजुर्ग

इंटरलॉकिंग सड़क पर एक ही बिल बाउचर पर 4 बार भुगतान 

ग्राम पंचायत में अक्टूबर 2019 में एक इंटरलॉकिंग सड़क का निर्माण किया गया जिसपर कुल 6 लाख14 हजार 49 रुपये का भुगतान लिया गया .सड़क निर्माण पर6 लाख खर्च किया गया यह बात समझ मे आती ही लेकिन 1 ही बिल बाउचर पर 3 बार भुगतान लिया गया यह बात भ्रष्टाचार को दर्शाती है। सड़क निर्माण अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ जिसपर पहली किस्त 119942 +29018+ 24698 +20610 रुपये का भुगतान हुआ उसके बाद नवम्बर 2019 और दिसम्बर 2019 में भी 119942 +29018+ 24698 +20610 रुपये का भुगतान हुआ इसके अलावा दूसरे बिल बाउचर पर इसी सड़क पर 61010+14505 +12201+10407 रुपये का भुगतान लिया गया।

मनरेगा का पैसा नई नवेली दुल्हन को भुगतना

ग्राम पंचायत में मनरेगा के पैसे का किस तरह से दुरपयोग हुआ है यह गांव जाकर कागज के मनरेगा मजदूरों से मिलने के बाद पता चलता है ग्राम पंचायत में सुषमा देवी को वर्ष2014 से लेकर 2020 तक 68 हजार रुपये से ज्यादा का भुगतान हुआ जबकि सुषमा देवी न तो मनरेगा मजदूर हैं और न ही इन्होंने कभी मनरेगा में मजदूरी किया है ,सच जानने के लिए हम सीधा सुषमा देवी के घर पहुंचे और हमने अपनी पहचान छुपा कर उनसे बात किया और कहा कि कल से सड़क मरम्मत का काम होना है वहां चलना है, तब उन्होंने कहा कि हम आपको मजदूर दिखाई पड़ रहे हैं क्या उसके बाद जब हमने पूछा कि आपने मनरेगा का भुगतान कैसे लिया है तो वह आनाकानी करने लगीं .इसी तरह से गांव में कई दर्जन लोगों के खाते में मनरेगा का भुगतान किया गया है जिसने कभी भी मजदूरी की ही नही है।
ग्राम पंचायत में प्रशासनिक मद को दिखा कर वित्तीय वर्ष 2019-20 में 40 हजार रुपये का भुगतान लिया गया इसके अलावा 5 हजार रुपये का भुगतान कोरोना वायरस से निपटने के लिए ग्राम पंचायत में खर्च किया गया लेकिन ग्रामवासियों का कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए ग्राम पंचायत में किसी प्रकार का कोई प्रयास नही हुआ।
भ्रष्टाचार का पैमाना इस गांव में इतना ज्यादा है कि ऐसा कुछ बचा ही नही है जहां जमकर लूट न हुआ हो वर्ष2019 में लोकसभा चुनाव के दिन बूथ पर टेंट लगवाने के नाम पर 20 हजार रुपये का भुगतान लिया गया है जबकि सच तो यह है कि मतदान के दिन लगाए जाने वाले टेंट का अधिकतम किराया 2000 रुपया पर्याप्त है।

ग्राम पंचायत में ह्यूमन पाइप के नाम पर 2 वित्तीय वर्ष में 4 लाख रुपये से अधिक का भुगतान हुआ है लेकिन उसके बाद भी गांव से पानी निकासी की व्यवस्था पूरी तरह से फेल है जिसके कारण लोगों को बांस बल्ली के सहारे गुजरना पड़ता है।
इस संबंध में ग्राम प्रधान रीतू देवी का पक्ष जानने के लिए हम उनके घर गए तो उनसे मुलाकात नही हो पाई उसके बाद प्रधान पति से फोन पर बात हुई तो उन्होंने कहा कहाँ काम हुआ कहाँ पैसा निकला  यह रीतू देवी जाने हमे इससे मतलब नही है।

इस मामले में जिला अधिकारी आशुतोष निरंजन से बात हुई तो उन्होंने कहा कि यदि लाभार्थियों के पैसे में बंदरबांट और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ होगा तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी .

अब सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या ग्राम पंचायत में सरकारी धन के हेरफेर और लाभार्थियों के योजना में धांधली करने वाले जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई होगी या फिर सब ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा.

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