विश्वपति वर्मा-
देश भक्ति के रासलीला में डूबे दक्षिणपंथी विचारधारा के दो नेता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने-अपने देश की जनता को गुमराह करने में माहिर हैं। ये दोनों नेता अपना-अपना कनेक्शन सीधा भगवान से जोड़ते हैं लेकिन सत्ता हथियाने के लिए पुनः धरती के भगवान वोटरों के जेहन को हाईजैक करने के लिए तरहं-तरहं के प्रयोग करते हैं जिसमे 2014 के बाद एक नेता को 2019 में लाभ भी हुआ।
दरअसल भारत की एक बड़ी आबादी के पास सोचने और समझने के लिए प्रयाप्त मात्रा में ज्ञान नही है जिसका नतीजा है कि समय-समय पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपने प्रयोगों में इनका उपयोग जमकर हुआ है ।
गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हवाला देकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पहली बार प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में आये नरेंद्र मोदी ने वोटरों को खूब लुभाया जिसका परिणाम रहा कि पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटने का मौका मिला ।
दूसरी बार 2019 चुनाव के पहले जंहा पीएम मोदी की आलोचना जमकर हो रही थी वंही भाजपा का विरोध भी कम नही था जगह-जगह चौराहे-चौराहे पर 10-5 विरोधी सरकार की आलोचना खुल कर करने के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी और देश मे काम कर रही इसकी शाखाओं के आकाओं ने जनता के नब्ज को टटोल लिया जंहा पर उन्हें दिखाई दे रहा था कि भारत जैसे देश मे पुनः सत्ता हथियाना तो बहुत आसान है ।
और इसके फायदे के लिए पार्टी आलाकमान ने वही किया जैसे काला जादू दिखाने वाला जादूगर दर्शकों से बोलता है "आंख और मुट्ठी एक साथ बन्द कर लो जैसे आंख खोलकर मुट्ठी खोलोगे चमत्कार होगा" बस यही बात जनता को समझाना था और यह सब समझाने के लिए नरेंद्र मोदी अकेले काफी थे और उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर अगला चमत्कार दिखाने के लिए जनता की आंखों पर अपनी चतुराई से पट्टी बांध दिया और उसका फायदा 2019 के चुनाव में भाजपा को हुआ ।
अब बातों के जादूगर माने जाने वाले नरेंद्र मोदी के फैन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी हो गए और अपने साथ भी उसी तरहं के चमत्कार के आस में ट्रम्प ने ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम के तहत हुक्म का इक्का फेंककर जीत का सेहरा बांधने के लिए कुटिल मुस्कान के साथ जनता का अभिवादन स्वीकार करते नजर आए ।
लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का पत्ता 2020 के चुनाव में फेल हो सकता है क्योंकि वँहा की जनता भारतीय जनता की तरहं अप्रत्यक्ष लाभ और धर्म के साथ राष्ट्रवाद की बात कर लेने भर से ही किसी के साथ खड़ा होने के लिए मजबूर नही है इस बात का संकेत खुद अमेरिकी मीडिया ने भी दिया है ।
अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है " इस रैली ने समान विचारधारा वाले नेताओं को एक मंच पर ला दिया दोनों दक्षिणपंथी विचारधारा के नेताओं ने लोकलुभावन वादों के साथ सत्ता में आए थे। दोनों ने अपने-अपने देश को महान बनाने और धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की बात की लेकिन भारतीय-अमेरिकी वोटरों से मोदी की अपील "अबकी बार ट्रम्प सरकार" के बाद भी ट्रम्प के लिए वोट हासिल करना आसान नहीं होगा "
इसी तरहं कई अखबार ने जंहा मोदी और ट्रम्प की जमकर आलोचना की वंही ट्रम्प ने भी पीएम मोदी के भाषण को क्रूर और आक्रामक बताया लेकिन अपनी नाक कटाकर बैठी भारतीय मीडिया ने यह नही दिखाया कि ह्यूस्टन में मोदी के कार्यक्रम खत्म होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने किस तरहं से मोदी को नीचा दिखाया है बेशर्म भारतीय मीडिया तो जनता को यह दिखा रही है कि मोदी की तुलना राष्ट्रपिता और रॉकस्टार एल्विस प्रेस्ली से हो रही है जो पीएम मोदी के अंदर है ही नही।
देश भक्ति के रासलीला में डूबे दक्षिणपंथी विचारधारा के दो नेता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने-अपने देश की जनता को गुमराह करने में माहिर हैं। ये दोनों नेता अपना-अपना कनेक्शन सीधा भगवान से जोड़ते हैं लेकिन सत्ता हथियाने के लिए पुनः धरती के भगवान वोटरों के जेहन को हाईजैक करने के लिए तरहं-तरहं के प्रयोग करते हैं जिसमे 2014 के बाद एक नेता को 2019 में लाभ भी हुआ।
दरअसल भारत की एक बड़ी आबादी के पास सोचने और समझने के लिए प्रयाप्त मात्रा में ज्ञान नही है जिसका नतीजा है कि समय-समय पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपने प्रयोगों में इनका उपयोग जमकर हुआ है ।
गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का हवाला देकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पहली बार प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में आये नरेंद्र मोदी ने वोटरों को खूब लुभाया जिसका परिणाम रहा कि पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटने का मौका मिला ।
दूसरी बार 2019 चुनाव के पहले जंहा पीएम मोदी की आलोचना जमकर हो रही थी वंही भाजपा का विरोध भी कम नही था जगह-जगह चौराहे-चौराहे पर 10-5 विरोधी सरकार की आलोचना खुल कर करने के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी और देश मे काम कर रही इसकी शाखाओं के आकाओं ने जनता के नब्ज को टटोल लिया जंहा पर उन्हें दिखाई दे रहा था कि भारत जैसे देश मे पुनः सत्ता हथियाना तो बहुत आसान है ।
और इसके फायदे के लिए पार्टी आलाकमान ने वही किया जैसे काला जादू दिखाने वाला जादूगर दर्शकों से बोलता है "आंख और मुट्ठी एक साथ बन्द कर लो जैसे आंख खोलकर मुट्ठी खोलोगे चमत्कार होगा" बस यही बात जनता को समझाना था और यह सब समझाने के लिए नरेंद्र मोदी अकेले काफी थे और उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर अगला चमत्कार दिखाने के लिए जनता की आंखों पर अपनी चतुराई से पट्टी बांध दिया और उसका फायदा 2019 के चुनाव में भाजपा को हुआ ।
अब बातों के जादूगर माने जाने वाले नरेंद्र मोदी के फैन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी हो गए और अपने साथ भी उसी तरहं के चमत्कार के आस में ट्रम्प ने ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम के तहत हुक्म का इक्का फेंककर जीत का सेहरा बांधने के लिए कुटिल मुस्कान के साथ जनता का अभिवादन स्वीकार करते नजर आए ।
लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का पत्ता 2020 के चुनाव में फेल हो सकता है क्योंकि वँहा की जनता भारतीय जनता की तरहं अप्रत्यक्ष लाभ और धर्म के साथ राष्ट्रवाद की बात कर लेने भर से ही किसी के साथ खड़ा होने के लिए मजबूर नही है इस बात का संकेत खुद अमेरिकी मीडिया ने भी दिया है ।
अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है " इस रैली ने समान विचारधारा वाले नेताओं को एक मंच पर ला दिया दोनों दक्षिणपंथी विचारधारा के नेताओं ने लोकलुभावन वादों के साथ सत्ता में आए थे। दोनों ने अपने-अपने देश को महान बनाने और धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की बात की लेकिन भारतीय-अमेरिकी वोटरों से मोदी की अपील "अबकी बार ट्रम्प सरकार" के बाद भी ट्रम्प के लिए वोट हासिल करना आसान नहीं होगा "
इसी तरहं कई अखबार ने जंहा मोदी और ट्रम्प की जमकर आलोचना की वंही ट्रम्प ने भी पीएम मोदी के भाषण को क्रूर और आक्रामक बताया लेकिन अपनी नाक कटाकर बैठी भारतीय मीडिया ने यह नही दिखाया कि ह्यूस्टन में मोदी के कार्यक्रम खत्म होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने किस तरहं से मोदी को नीचा दिखाया है बेशर्म भारतीय मीडिया तो जनता को यह दिखा रही है कि मोदी की तुलना राष्ट्रपिता और रॉकस्टार एल्विस प्रेस्ली से हो रही है जो पीएम मोदी के अंदर है ही नही।