विश्वपति वर्मा (सौरभ)
सूबे में भाजपा की सराकर बनने के बाद से गायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फ़ैसले लिए गए खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कान्हा गौशाला बनवाने के निर्देश दिए और इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान किया उसके बावजूद भी पशुओं के सामने रहने -खाने की समस्याएं लगातार सामने आ रही हैं जिसका परिणाम है कि ग्राम पंचायत स्तर पर प्रधान और अन्य संरक्षकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है
इसी क्रम में बस्ती जनपद के रामनगर ब्लाक में आने वाली ग्राम पंचायत नरकटहा की महिला प्रधान श्यामादेवी ने ग्राम पंचायत में संचालित गोवंश आश्रय स्थल की समस्या को तहकीकात समाचार से एक भावुक पत्र के माध्यम से साझा किया .प्रधान ने पत्र में लिखते हुए बताया कि "गौशाला में 134 पशुओं को रखा गया है लेकिन अल्प मात्रा में सरकारी सुबिधा मिलने के नाते पशुओं के लिए चारा ,भूसा, पानी आदि व्यवस्था के लिए संकट खड़ा हो गया है.पशुओं के रहने के लिए मात्र छोटे से टीन शेड की व्यवस्था कराई गई है जिसमे दो दर्जन से अधिक पशु नही आ सकते .जब गांव -गांव बिजली दौड़ाई जा रही है तब गौशाला तक बिजली पंहुचाने के लिए की मांग के बाद भी उजाले की कोई व्यवस्था नही की गई .लगभग डेढ़ सौ की संख्या में पशुओं को लाकर यंहा रखा गया है लेकिन शासन द्वारा यंहा बाउंड्रीबाल लगवाने के लिए भी धन मुहैया नही कराया गया .पशु बाड़े से निकलकर भाग न जाएं और किसानों का फसल बर्बाद न करें इसलिए इसके देखभाल के लिए 12 श्रमिकों को रखना पड़ा है परन्तु अब वह लोग मजदूरी की मांग कर रहे हैं लेकिन धन न होने की वजह से उन्हें मजदूरी देना भी मुश्किल हो गया है.जो लोग पिछले कई महीनों से मजदूरी कर रहे हैं वह सब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार धन की व्यवस्था कराए ताकि वें घर परिवार चलाने और बच्चों को पढ़ाने के लिए पैंसे का बंदोबस्त कर सकें लेकिन ग्राम प्रधान होने के नाते सारी जिम्मेदारी को इस तरहं से थोप दिया गया है जैसे लगताा है कि सरकार ने यह काम हमारी नैतिक जिम्मेदारी पर सौंप दिया है कि इसके खर्चे का वहन हम करें. इस लिए इस आवाज को हम सभी जिम्मेदार लोगों तक पंहुचाना चाहती हूं जो इस गंभीर समस्या की भौतिक निरीक्षण कर बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने के लिए तैयार हों"
उन्होंने आगे लिखा कि गौशाला में पशुओं को रहने खाने और उजाले की समस्या न हो इसके लिए उपजिलाधिकारी भानपुर के माध्यम से अतिरिक्त धन के लिए गुहार लगाई थी लेकिन अभी तक किसी प्रकार की सुबिधा उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार लोगों ने गंभीरता नही दिखाई ।
प्रधान के इस भावुक पत्र से शासन-प्रशासन के लोगों पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर उनमें इतनी निरंकुशता कैसे बढ गई है कि एक जनप्रतिनिधि की समस्या सुनने के लिए कोई तैयार नही है ,क्या शासन के पास गौशाला संचालित करने के लिए धन की व्यवस्था नही है? या फिर प्रशासन इन सब झमेलों से बचना चाहता है आखिर क्यों नही कोई खुल कर सही बात बताना चाहता है?कोई तो है जो बेशर्म न हो उसे अपनी जवाबदेही तय करनी चाहिए।