लवकुश यादव_
जब भारत सरकार खुद डिजिटल इंडिया चला रही हो और उसके खुद के विभाग डिजिटिलाइज न हो पाएं तो यह कैसे माना जाए कि सरकार अपने उद्देश्य की तरफ बढ़ने में कामयाब होगी।21वीं सदी में जब देश के बहुसंख्यक आबादी के पास स्मार्टफोन है और उसका उपयोग उपभोक्ता समाचार के क्षेत्र मे तेजी से कर रहे हैं तब वेब मीडिया को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के साथ सूचीबद्ध न करना कहाँ तक न्यायसंगत है ।
सरकार के इस उदाशीनता के चलते भड़के वेब मीडिया के पत्र
कारों ने अशोक श्रीवास्तव के नेतृत्व में पांच सूत्रीय ज्ञापन स्थानीय प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजकर कार्यवाही की मांग किया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि जिस प्रकार एटीएम के आने से बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति आ गयी है और बैंकिंग का चेहरा एकदम से बदल गया है ठीक उसी प्रकार स्मार्ट फोन आने के बाद मीडिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। बैंक खातों से जिस प्रकार ग्राहक अब शाखाओं के खुलने के इंतजार नही करते उसी तरह देश की बहुत बड़ी आबादी अब अखबारों का इंतजार नही करती बल्कि अपनी मोबाइल और कम्प्यूटर पर जब और जहां का समाचार देखना चाहा देख लिया। इस बड़े बदलाव ने देश की जनता की मीडिया से उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया है। अनेक माध्यम इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। नतीजा ये है कि वेब मीडिया प्रिण्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उम्दा विकल्प बनकर उभरा है। अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वेब मीडिया को किसी भी प्रकार की सुविधा देय नही है। आरएनआई में सूचीबद्ध करने की कोई स्पष्ट गाइडलाइन भी नही है। जिससे देशभर में लाखों की संख्या में संचालित वेब समाचार माध्यमों से जुड़े पत्रकारों को सूचना विभागों में कोई महत्व नही दिया जा रहा है।
विशिष्टजनों के आगमन पर सूचना कार्यालय से जारी होने वाले मीडिया पास से भी पत्रकार वंचित रह जाते हैं। पत्रकारों को नफरत की दृष्टि से देखा जा रहा है। पीएम को भेजे ज्ञापन में वेब समाचार माध्यमों के लिये स्पष्ट गाइडलाइन जारी करने,. वेब माध्यमों को आरएनआई में सूचीबद्ध किया जाने, विशिष्टजनों के आगमन पर दोहरे मापदण्ड से बंचते हुये वेब मीडिया के पत्रकारों को उदारतापूर्वक पास जारी किये जाने, वेब मीडिया और इससे जुड़े पत्रकारों को भी मान्यता प्रदान किये जाने, समस्त जिलाधिकारियों को पत्रकार उत्पीड़न मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित किये जाने की मांग प्रमुखता से उठाई गयी है।
ज्ञापन सौंपते समय यूपी लाइस टुडे के संपादक राजकुमार पाण्डेय, बस्ती खबर के संपादक राजन चौधरी, तहकीकात समाचार के संपादक विश्वपति वर्मा, आज का आतंक के संपादक दिलीप पाण्डेय, जीशान हैदर रिज़वी, डा. हेमन्त पाण्डेय, दिनेश उपाध्याय, दिनेश कुमार पाण्डेय, शैलेन्द्र पाठक, बीपी लहरी, सुनील पाण्डेय, लवकुश यादव, राकेश त्रिपाठी, बालमुकुन्द शुक्ला, अनिल कुमार श्रीवास्तव, डा. अजीत श्रीवास्तव, वकील अहमद सहित तमाम पत्रकार मौजूद रहे। सभी ने पूर्ण समर्थन देते हुये निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया।