आर्थिक कंगाली का दंश झेल रही है देश की 90 करोड़ आबादी ,मुट्ठी भर लोगों को आजादी - तहक़ीकात समाचार

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शनिवार, 24 जून 2023

आर्थिक कंगाली का दंश झेल रही है देश की 90 करोड़ आबादी ,मुट्ठी भर लोगों को आजादी

सौरभ वीपी वर्मा

सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के जितनी भी योजना चलाई गई वर्तमान में सब बेबुनियाद साबित होता दिखाई दे रहा है , एक तरफ जहां गरीब आदमी अति गरीब हुआ है वहीं मध्यम वर्गीय परिवार जो आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित नही था उसके पास भी आर्थिक कंगाली का जमावड़ा हो चुका है।
देखा जाए तो सम्पन्न वर्ग भी विपन्नता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है । इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती महंगाई और आय में वृद्धि न होना है ।  वर्ष 2014 में मोदी सरकार द्वारा किसानों के आय दोगुना करने की बात कही गई थी लेकिन आंकड़े साफ हैं कि जिस सरकार द्वारा आय दोगुना करने की बात लोगों से कही गई थी उसी सरकार में तीन गुना से ज्यादा महंगाई का बोझ लोगों पर पड़ गया है।

इस देश में ही नही दुनिया के किसी भी देश की बात कर ली जाए तो महंगाई बढ़ने का दो सबसे बड़ा कारण है , एक ईंधन और दूसरा टैक्स । ईंधन के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने से परिवहन सेवा में भार पड़ता है और उस भार का सीधा-सीधा बोझ जनता पर पड़ता है जहां उसे  एक तरफ यातायात व्यवस्था पर ज्यादा पैसा देना पड़ता है वहीं ढुलाई, खेती ,निर्माण आदि क्षेत्र में इसका असर पड़ता है । वर्ष 2010 में पेट्रोल का दाम 61 रुपया तो वहीं डीजल का दाम 43 रुपया प्रतिलीटर था वहीं वर्तमान में पेट्रोल लगभग 98 तो वहीं डीजल की कीमत 91 रुपया प्रतिलीटर है । अब आप सीधे तौर पर समझ सकते हैं कि इस महंगाई का असर किसपर पड़ेगा । इधर के 10 वर्षों के टैक्स वसूली पर ध्यान दिया जाए तो सरकार द्वारा निर्माण ,उत्पादन ,सेवा ,क्रय - विक्रय आदि सभी क्षेत्रों से जमकर टैक्स वसूले गए हैं जिसका असर सीधे तौर पर आम आदमी ,गरीब ,किसान ,छात्र एवं नौजवान के ऊपर बढ़ा है । वहीं इसके उलट जनता की आय में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम नही उठाया गया है जिसका परिणाम है कि आज जब मुट्ठी भर लोग अरबपति बन रहे हैं तब 90 करोड़ से ज्यादा लोग आर्थिक कंगाली का दंश झेलने के लिए मजबूर हैं।

आर्थिक कंगाली की जो स्थिति दिखाई दे रही है वह गांवों से लेकर बडे बडे शहरों तक पहुंच चुका है । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेव मॉल में सजने वाली कई दुकानें इस लिए बंद हो गईं क्योंकि उनके खर्चे के अनुसार वहां ग्राहक नही आ रहे थे या फिर वहां पर जो लोग आ रहे थे उनमें से ज्यादा लोगों द्वारा कोई खरीददारी नही किया जा रहा था । ऐसी स्थिति के बारे में समीक्षा की गई तो पता चला कि बढ़ती हुई महंगाई की वजह से लोगों को अपना घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है इस लिए लोगों द्वारा सीमित संसाधनों में जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।

ऐसी ही स्थिति कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है जहाँ पैसे की कमी की वजह से लोग अच्छा खाने पीने के सपने को देखना बंद कर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाने के जद्दोजहद में दिखाई दे रहे हैं । 

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