सौरभ वीपी वर्मा
कानून का डर दिखा कर जिसे जब चाहो तब जेल में डालने की धमकी दिया जाए ये लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके मूल्यों के खिलाफ है ,उत्तर प्रदेश में 1 लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारियों ने अगर अपने बकाए पैसे को सरकार से मांग कर लिया है तो कुछ गलत नही है , कर्मचारियों ने यदि वेतन विसंगति और पुरानी पेंशन की बात किया है तो कुछ गलत नही है । इस देश में कानून बनाकर सदन में बिल पास करने वाले नेता 2 ,3 ,4 ,5 ही नही 9 से 10 पेंशन का लाभ ले रहे हैं। UP Bijli strike news
जिस उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन जारी किया हुआ है उस उत्तर प्रदेश के सफेदपोश नेताओं की काली करतूत भी आप जान लीजिए ,भले ही बिजली कर्मियों के वेतन विसंगति को दूर करने के लिए सरकार के पास कोई नियति नही है लेकिन उत्तर प्रदेश में पूर्व विधायकों को प्रति महीने ₹25000 पेंशन मिलने की व्यवस्था है. साथ ही 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायक को प्रतिवर्ष ₹2000 रुपये अतिरिक्त पेंशन के रूप में मिलते हैं. यह ₹2000 की बढ़ोतरी 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायकों की पेंशन में जुड़ जाती है. यानी की 5 साल तक विधायक रहने वाले व्यक्ति को प्रति महीने ₹35000 की पेंशन मिलने की व्यवस्था है.
इसी तरह अगर कोई 15 साल तक विधायक रहता है, तो उसे हर महीने ₹45000 की पेंशन मिल सकती है. वहीं, 20 साल विधायक रहने वाले व्यक्ति को हर महीने ₹55000 की पेंशन मिलती है. इसके अलावा अगर कोई विधानसभा का सदस्य 8 बार तक लगातार निर्वाचित हो रहा है तो उसे एक लाख रुपये से ज्यादा पेंशन दिया जाता है , इतना ही नही कोई विधानसभा से निर्वाचित होने के बाद यदि लोकसभा का सदस्य चुना जाता है तब भी उसे दोनों कार्यालय का पेंशन मिलेगा । up bijli strike news 2023
अब सवाल इस बात का है कि जिन लोगों लोगों ने पद और सत्ता में रहकर मलाई काटी है उन्हें तो जीविका के लिए पेंशन पर पेंशन दिया जा रहा है वहीं जिन कर्मचारियों ने 60 साल तक नौकरी किया उनके पेंशन और बोनस के प्रति सरकार इतना निरंकुश क्यों है । सच तो यह है कि सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए बिजली कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की धमकी दे रही है , लेकिन दूसरा सच यह भी है की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने सबको अपनी बात कहने की आजादी दी है। जिसके जरिये बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं ।