नजरिया- ऐसा ही रहा तो भारत का भी होगा श्रीलंका जैसा हश्र ,देश में भी स्थिति बेकाबू - तहक़ीकात समाचार

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बुधवार, 11 मई 2022

नजरिया- ऐसा ही रहा तो भारत का भी होगा श्रीलंका जैसा हश्र ,देश में भी स्थिति बेकाबू

सौरभ वीपी वर्मा
नेताओं के राजशी ठाठ और ऐशो इशरत का देन है कि अधिकतर देश कंगाली के मुहाने पर खड़े हैं । वेनेजुएला की स्थिति आप लोग देख ही रहे थे कि  अब श्रीलंका की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से डगमगा गई और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे को अंततः अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा ।
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आपको क्या लगता है इस तरह के ताजपोशी और इस्तीफा से महिंद्रा राजपक्षे का बाल बांका होगा या श्रीलंका पीपुल्स फ्रीडम अलायंस को कोई नुकसान होगा । ऐसा कुछ नहीं होने वाला है अगर किसी का नुकसान और किसी का बाल बांका होगा तो श्रीलंका की दो करोड़ 19 लाख आबादी की होगी , वहां के युवाओं और किसानों की होगी , वहां के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार की होगी वहां के छात्रों और बेरोजगारों की होगी ।

श्रीलंका की राजपक्षे फैमिली की बात करने से क्या मतलब है जब वहां के बजट का 70 फ़ीसदी पैसा वहां कि राजपक्षे परिवार के कंट्रोल में रहता है । अगर चिंता करने की जरूरत है तो वहां के मतदाताओं की है जिन्हें अनेको लोकलुभावन वादों की तरफ आकर्षित करके सरकार ने लाकर सड़क पर खड़ा कर दिया।

अगर आप यह भी सोच रहे हैं कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था खराब होने से हमें क्या दिक्कत है तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि आपके नेताओं ने भी इस देश का वही हश्र किया है जैसा कि राजपक्षे सरकार ने किया  है ।

क्या यह विचार करने योग्य नही है कि भारत के माननीय लोगों की खातिरदारी और ख्याति के लिए देश भर में अरबो रुपये की संपत्ति फिजूलखर्ची में चला जाता है , जबकि इसी देश में 22 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे पेट सोने के लिए हर दिन मजबूर होते हैं । यह तो मात्र एक उदाहरण है , उनकी लग्जरी व्यवस्था के लिए भी करोड़ो रुपया बर्बाद कर दिया जाता है जबकि देश में लाखों लोगों की स्थिति यह है कि उन्हें घास फूस की व्यवस्था में जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है । देश में बढ़ती महंगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार एवं असमानता बेकाबू है लेकिन मौजूदा सरकार के पास इससे निपटने का कोई विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है ।

ऐसा नही है कि यह दिन आप पर कभी आएगा ,वह आपके साथ चल रहा है लेकिन सच तो यह है कि आप दबी ,कुचली ,खोखली व्यवस्था में जीने की आदत में ढल चुके हो इस लिए आपके लिए बढ़ती महंगाई ,बेरोजगारी , असमानता कोई मायने नहीं रखता है । आपकी समझ में यह बात तब आएगी जब पूरे देश को यहां के व्यापारी नेताओं द्वारा कारपोरेट घरानों को ठेके पर दे दिया जाएगा । और देश को चलाने वाले ठेकेदार अपनी मर्जी से यहां की जनता पर हुकूमत गाँठेंगे ।

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