सौरभ वीपी वर्मा
14 दिन के अंदर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान दिलाने की बात करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के किसानों का 12 हजार करोड़ रुपये का भुगतान मिल मालिकों से नही दिला पाए । वहीं बस्ती जनपद के वाल्टरगंज चीनी मिल द्वारा किसानों और कर्मचारियों का लगभग 60 करोड़ रुपया अभी तक नही मिल पाया है।
यह चिंता का विषय है कि जहां सरकार द्वारा लगातार किसानों के हित की बात कही जा रही है वहीं दिन प्रतिदिन किसानों की स्थिति हाशिए पर जाता हुआ दिखाई दे रहा है , देश भर में किसानों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा किसान वर्ग के लोग हैं और उनकी स्थिति लगातर बद से बदतर होती जा रही है , एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 50 फीसदी से ज्यादा किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं जिनका औसत कर्ज 74 हजार रुपये के आस पास है इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश की एक बड़ी आबादी आर्थिक मामलों में कहां खड़ी है।
विसंगतियां यह है कि जिस किसान द्वारा बिजली का बिल नहीं जमा किया गया जिसके द्वारा केसीसी का भुगतान नहीं किया गया उसका वारंट ,जुर्माना और गिरफ्तारी हो रही है लेकिन इस देश का कोई भी नेता, अभिनेता , सरकार यह बोलने के लिए तैयार नहीं है कि आखिर जिन मिलों द्वारा किसानों और कर्मचारियों का भुगतान नही किया गया है उसके ऊपर भी जुर्माना और सजा की व्यवस्था की जाए।
निश्चित तौर पर यह बाबा योगी आदित्यनाथ की नाकामी है जिन्होंने प्रदेश की जनता को ठगने के लिए अनेकों प्रकार के वादे किए लेकिन जब सच से सामना करना पड़ा तो भगवा चोला पहन कर अंडरग्राउंड हो गए । उसके बाद किसानों और बेरोजगारों का हाल उसी स्थिति में रह गया जहां से उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों को संवारने और सुधारने की बात कही थी।