कभी भाजपा नेता व्यवस्था के चाक चौबंद होने का दावा करते हैं, कभी अस्पताल का प्रबंध तंत्र तो कभी जिले के प्रशासनिक अधिकारी। लेकिन दावों में कितना दम है यह देखना हो तो कैली अस्पताल चले जाइये। आपको पता चल जायेगा कि आम जन के जीने मरने का इन जिम्मेदारों पर कितना फर्क पड़ता है। सोमवार रात करीब 11 बजे फोन करके वरिष्ठ पत्रकार संजय द्विवेदी ने जो हकीकत बयां किया वह सरकारी दावों की पोल खोलने के लिये काफी है। संजय शिक्षक होने के साथ साथ अच्छे समाजसेवी और कलमकार हैं। सत्ता में भी उनकी अच्छी पहचान और पकड़ है।
हैरानी की बात ये है कि उन्हे कोविड पॉजिटिव अपनी चाची और उनके बेटे को कैली अस्पताल में एडमिट कराने के लिये लोहे का चना चबाना पड़ा। शाम 6 बजे से 11 बजे तक शासन प्रशासन, सांसद, मेडिकल कालेज के प्रिंसिपिल, जिलाधिकारी सहित अनेक रसूखदारों को फोन करते रहे लेकिन अपने मरीज को बेड और आक्सीजन नही दिला सके। हां इतना जरूर हुआ कि अस्पताल में तैनात फोर्स ने मरीजों और तीमारदारों पर दो बार पीटा और कैम्पस से बाहर खदेड़ दिया। अस्पताल में मौजूद संजय द्विवेदी के बड़े भाई ने भी उपरोक्त हालातों की पुष्टि की। सवाल ये है कि खास आदमी के साथ ऐसा हो रहा है तो आम आदमी की जगह कहां है उसे खुद समझ लेना चाहिये।