सौरभ वीपी वर्मा
महामारी के इस दौर में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जब अस्पतालों का दौरा करना चाहिए ,मेडिकल संसाधनों की व्यवस्था पर जानकारी लेना चाहिए तब ये दोनों अंडरग्राउंड हो गए हैं। अध्ययन किया जाए तो ये दोनों नेता किसी घातक कोबरा सांप से कम नही हैं जो मुसीबत की आहट सुनकर ही छुप जाते हैं और जब इंसान को डसना होता है तो फों-फों कर बाहर आ जाते हैं।
सरकारी आंकड़े में भले ही यह बताया जाए कि देश भर में महामारी के इस दौर से गुजरने वाले लोगों को मौत के मुंह में नहीं जाना पड़ रहा है लेकिन जब धरातल से जुटाई गई आंखों की सच्चाई पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि देश में 50 हजार लोगों की मौत प्रतिदिन हो रही है।
एक जानकारी के अनुसार बिहार के गया में कोरोना वायरस के चलते कफन के कारोबार में भारी उछाल आया है. इस व्यवसाय के तेजी से बढ़ने से ही इस बात की पुष्टि होती है कि देश भर में तेजी से होती मौतों के कारण ही कफन की डिमांड बढ़ गई है. अब बिहार में चादर और गमछे तैयार करने वाले बुनकर आजकल कफन बना रहे हैं. जहां फरवरी और मार्च के महीने में गया में 15-20 हजार कफन की हर दिन सप्लाई होती थी वहां अब बुनकर हर दिन लगभग 50 हजार कफन तैयार कर रहे हैं ।
अप्रैल के महीने से लेकर 10 मई तक के आंकड़े सामने आए हैं जहां गया के कफ़न कारोबारी प्रतिदिन 50 हजार कफ़न तैयार कर उसे बिकने के लिए बाजार में भेज रहे हैं। इसके अलावा हम मॉडल गुजरात की तरफ बढ़ चलें तो वहां एक रिपोर्ट में पता चला है कि अप्रैल से लेकर 10 मई तक लगभग डेढ़ लाख लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी हुआ है ।
आप जरा सोचिए और विचार कीजिए कि जो सरकार प्रतिदिन 3 से 4000 लोगों की मौत की बात कर रही है वह सरकार झूठ बोलकर आंकड़े नही छुपा रही है तो और क्या कर रही है ? इस देश में 50 हजार कफन केवल एक स्थान से बनकर बिकने के लिए बाजार में जा रहे हैं जरा आप इस बात पर विचार कीजिए कि आखिर कफन लाशों को दफनाने के अलावा और किस काम में आता है ? निश्चित तौर पर इस देश में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो रही है लेकिन सरकार इन आंकड़ों को छुपा कर अपने तौर से अपने आप को बचाने में लगी है