लखनऊ -इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोकने को कहा है. इस बारे में सभी जिलों के डीएम को आदेश भेज दिया गया है. अदालत ने आरक्षण प्रकिया पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई. अगली सुनवाई में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।
हालांकि जानकारी मिल रही है कि चुनाव में देरी नही होगा ,जो भी फैसला होगा वह जल्द ही सामने आएगा फिलहाल अभी चुनाव के तारीखों का एलान नही हुआ है
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