वैसे तो सरकार सबका साथ सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तर प्रदेश के 59163 ग्राम पंचायतों के प्रधानों को आवास ,सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन के नाम पर मोहरा बना चुकी है ।
इस चुनावी वर्ष में जब प्रधानों को 20 -20 लाख रुपये का अतिरिक्त बजट देकर ग्राम पंचायत में बुनियादी सुविधाओं के ढांचा को मजबूत करने पर जोर देना था तब वह आवास योजना को लांच कर प्रधानों को मुसीबत में खड़ा कर चुकी है ,प्रधान भी उहापोह की स्थिति में हैं पात्र-अपात्र के दस्तावेजों की क्रमांक नंबरी को लेकर वह भी गरीबों को आवास दिलवाने के लिए जोर देने लगे हैं लेकिन इसका नफा मुनाफा क्या होगा और किसको होगा यह तो केवल ग्रामीण विकास मंत्रालय ही बता पायेगा।
सरकार तो जनता के टैक्स और विश्वबैंक के लोन से गरीबों के नाम पर योजना बना कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोर लेगी लेकिन धरातल पर अंतिम व्यक्ति को कितना फायदा मिलेगा यह तो स्थलीय निरीक्षण के बाद ही पता चलेगा।
आज 40 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था नही है, 57 फीसदी आबादी के पास पानी निकासी एवं जल जमाव की समस्या है ,22 फीसदी लोग पात्र होने के बाद सरकारी योजनाओं से वंचित हैं ,80 फीसदी गांव कूड़े के ढेर पर टिके हैं लेकिन सरकार प्राथमिकता को दरकिनार कर ऊल -जलूल योजनाओं पर पैसा बर्बाद कर रही है।
फिलहाल सरकार को जनता की वास्तविक समस्याओं से कोई लेना देना नही है यह सरकार तो बस वही काम कर रही है जैसे पहले नशा का कारोबार बढ़ाएगी और उसके बाद नशामुक्ति केंद्र खोलकर वाहवाही लूटने का काम करेगी उदाहरण तो काशीपुर वाले बाबा ने दे दिया जहां ड्रग का कारोबार फैला कर युवाओं को आकर्षित किया जा रहा है उसके बाद नशा मुक्ति केंद्र के बहाने मानसिक गुलाम ,क्रिमिनल और तस्कर बनाने का काम किया जा रहा है।