विश्वपति वर्मा(सौरभ)
उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की बेहद अमानवीय घटना में एक युवती की मौत के बाद देश के लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। लोग लगातार आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने डराने वाले आंकड़े जारी किए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो पिछले साल महिलाओं के खिलाफ 4,05,861 मामले सामने आए थे। इनमें हर दिन औसतन 87 मामले बलात्कार के हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो एक तरफ जहां यूपी में योगी सरकार कानून व्यवस्था पर सख्ती बरतने और अपराधियों पर नकेल कसने के लंबे-चौड़े दावे करती है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ अपराध की राज्यवार लिस्ट में उत्तर प्रदेश टॉपर है। वहां सालभर में महिलाओं पर अत्याचार के 59,853 केस सामने आए हैं।
एनसीआरबी के ये पिछले साल के आंकड़े यूपी सरकार के सामने सवाल उठाते हैं कि क्या इस साल ये आंकड़े कम हुए हैं? यूपी में पिछले 72 घंटे में रेप के 8 केस सामने आए हैं। इसमें आजमगढ़, बुलंदशहर ,बलरामपुर, कानपुर और फतेहपुर से रेप की थर्रा देने वाली घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें 8 और 14 साल की मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की बात सामने आ चुकी है।
यह आंकड़े देख कर सवाल पैदा होता है कि जब प्रदेश में रेप, हत्या बलात्कार की घटना लगातार बढ़ रही थी तो इसे नियंत्रित करने के लिए योगी सरकार ने कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कौन कौन से ठोस उपाय अपनाए हैं? क्या रेप की घटनाओं को महज इत्तेफाक मानकर ही सरकार इसे दस्तावेजों में दफन कर देना चाहती है? या फिर इसपर काबू पाने के लिए ठोस उपाय अपनाया जाएगा? कई सारे सवाल खड़े होते हैं लेकिन हमें लगता है कि यह सब सवाल हप्ते 10 दिन तक चलने वाले विरोध प्रदर्शन का एक मात्र हिस्सा है उसके बाद न तो देश की जनता को इसका सदमा होगा और न ही सरकार को चिंता ,एक लाइन की बात यह है कि लोग अपनी बहन बेटियों की रक्षा स्वयं करें किसी सरकार से महिला सुरक्षा की बात करने की उम्मीद करना बेईमानी है।