दौलत का विकेंद्रीकरण किए बिना दुनिया की कोई शक्ति भारत के गरीबों को संपन्न नहीं बना सकती - तहक़ीकात समाचार

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सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

दौलत का विकेंद्रीकरण किए बिना दुनिया की कोई शक्ति भारत के गरीबों को संपन्न नहीं बना सकती

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

देश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी जब शोषित वंचित, गरीबों एवं किसानों के हित की बात अपने मंच से करती है तो सुनने में बहुत अच्छा लगता है ,लेकिन सत्ताधारी पार्टी को समझना चाहिए की आर्थिक विकेंद्रीकरण के बिना  देश की निचली इकाई में जीवन यापन करने वाले लोगों के आय में वृद्धि नहीं हो सकता है ।
आज देश की जितनी पूरी संपत्ति है उसकी आधी संपत्ति मुट्ठी भर लोगों के पास जमा हुआ है वहीं 36 से 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जो 20 रुपये से कम पर जीवन यापन करने के लिए मजबूर है ,ये अन्नदाता का देश है जहां किसानों द्वारा उपजाई गई फसलों से देश के सभी वर्गों के लोगों को भोजन मिलता है लेकिन यह सुनकर दुख होता है कि अन्नदाता के देश में 22 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं  आखिर यह क्यों है? इसके पीछे का कारण क्या है? यह जानने के लिए आपको देश की वर्तमान नीतियों की समीक्षा करना पड़ेगा ,हमे सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का अध्ययन करना पड़ेगा तब पता चलेगा कि आखिर आजादी के 7 दशक बाद जब दुनिया के कई देश परचम लहरा रहे हैं तब भारत मे गरीबी और बेरोजगारी पर आखिर नियंत्रण क्यों नही हो पा रहा है।
भारत में निचली इकाई में जीवन यापन करने वाले गरीब व असहाय लोगों के जीवन में बदलाव आए इसके लिए कोई ठोस योजना नही बनाई गई है यहां ऐसे लोगों को मात्र500 रुपया महीना पेंशन देकर उनके जीवन जीने के लिए नीति बना दी गई है जबकि उनके जीविका के लिए कोई योजना का निर्माण नही किया गया ।

देश के नीति निर्माताओं को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर उनके जीविकोपार्जन के लिए उनको काम देने की आवश्यकता पर जोर दिया जाए , और यह काम पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ किया जाए क्योंकि इसके पहले कई बार सरकारों द्वारा कई तरह की कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार देने की योजना बनाई गई लेकिन गलत नीतियों के चलते आज तक ग्रामीण क्षेत्र में लगाए गए कुटीर उद्योग या फैक्ट्रियों का वजूद संकट में आ गया।

सरकार को इस बात पर जोर देना चाहिए कि जो मुट्ठी भर लोग दौलत की ढेरी पर बैठे हुए हैं उनकी दौलत का 10% हिस्सा सरकारी संपत्ति में जोड़कर पहले खजाने को मजबूत करे उसके बाद उस धन का विकेंद्रीकरण कर पूरे देश में आर्थिक संकट को दूर करे, जब तक धन का विकेंद्रीकरण नहीं होगा, गांव तक पैसा नहीं पहुंचेगा तब तक दुनिया की कोई शक्ति भारत के गरीबों और बेरोजगारों को संपन्न नहीं बना सकती है

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