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शनिवार, 16 मई 2020

देश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना है तो सरकार ग्राम पंचायतों को दे 5-5 करोड़ रुपये का बजट

विश्वपति वर्मा-

यदि वास्तव में सरकार  अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया भर के दिग्गज देशों से ऊपर उठना चाहती है तो उसे भारत के ग्रामीण इलाकों में बैठे खलीहर लोगों को रोजगार से जोड़ने पर विचार करना चाहिए .सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो हवा हवाई बनाने के लिए राहत पैकेज लाने की घोषणा करने से काम नही चलेगा ,इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर हमें अपनी सफलता का परचम लहराने के लिए मेहनत और दिमाग से  काम करना होगा।
सरकार को चाहिए कि उसे देश भर के समस्त ढाई लाख ग्राम पंचायतों को 4 श्रेणी में बांटा जाए जिसमें बड़े ग्राम पंचायतों को 5 करोड़ ,मझले ग्राम पंचायत को 3 करोड़  छोटे ग्राम पंचायत को 2 करोड़ और अति छोटे यानी कि 2 से कम गांवों वाले ग्राम पंचायतों को 1 करोड़ रुपये का बजट देना चाहिए।

अब पैसे को देकरके हम अर्थव्यवस्था पटरी पर नही ला सकते हैं इसके लिए हमें ठोस योजना बनाना होगा जिसमें ग्राम पंचायतों में लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से अलग अलग क्षेत्रों में उपलब्ध कच्चा माल के हिसाब से वहां रोजगार की यूनिट लगानी होगी ,चूंकि भारत कृषि प्रधान देश है इसके लिहाज से हमे सबसे पहले कृषि से जुड़े हुए रोजगार और उत्पादों को बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए मसलन जिस क्षेत्र में गन्ना है वहां पर गन्ने के रस से बनने वाले मिठाई केमिकल आदि तैयार किया जाना चाहिए जैसे गुण ,सिरका इत्यादि  अब जहां गेहूं,चावल ,सरसो ,दाल ,मक्का की उपलब्धता है वहां 10 से 15 ग्राम पंचायतों को शामिल कर आटा ,सूजी,तेल ,दाल और मैदा तैयार करने की यूनिट लगाई जानी चाहिए , इसके अलावां उत्तर प्रदेश के समस्त ग्राम पंचायतों में पहले से मौजूद तालाबों में मछली पालन पर जोर देना चाहिए ,अब 10 ग्राम पंचायतों को शामिल कर 1000 पशुओं से डेयरी उद्योग का काम शुरू करना चाहिए जिसमें दूध ,दही ,मिठाई इत्यादि का निर्माण हो ,इसी यूनिट में बकरी पालन के क्षेत्र में प्राथमिकता देनी चाहिए ,अब हमें थोड़ा ऊपर उठना होगा जैसे हम अब राजस्थान ,आसाम ,महाराष्ट्र की तरफ जाएंगे तो वहां पत्थर ,चाय ,गन्ना ,मक्का इत्यादि भारी मात्रा में मिलेगा हमे यहां भी योजनाबद्ध तरीके से इन सब उत्पादों को गढ़ने और रचने की जरूरत है .

बेकरी बिस्कुट ,नमकीन ,कील कांटी, झाला,माला ,चार्जर ,घड़ी ,चश्मा ,बैटरी ,लाइट इत्यादि का निर्माण हमे करना चाहिए और बाहरी आयात पर रोक लगाई जानी चाहिए यह सब सामान अधिकतर हम चाइना से आयात करते रहे हैं। इसके अलावा जैसा कि हमने पहले बताया कि हमे अलग अलग क्षेत्रों के हिसाब से वहां यूनिट को लगाने का काम किया जाना चाहिए ।

हमे बर्तन ,ताला ,लकड़ी से बने सामानों को और हाईटेक तरीके से बनाये जाने की जरूरत है ,किताब, कांपी ,पटरी, पेंसिल ,पेन , इत्यादि वैश्विक बाजार की आवश्यकता वाली चीज है लिहाजा हमे यह ध्यान देना होगा कि हमे कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में यह उपलब्धि हासिल करना होगा जिसकी मांग पूरी दुनिया को है ।

अब हमें थोड़ा और ऊपर जाने की आवश्यकता है जहां हमारे पास डॉक्टर और इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर लाखों लोग बैठे हुए हैं और यह लोग भी बहुत कुछ का निर्माण कर सकते हैं जो हम विदेशी बाजारों के ऊपर निर्भर रहते हैं।

इसके अलावां जैसा कि हम ऊपर दो बार बता चुके हैं कि हमे स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाले कच्चा माल को देखते हुए हमे सामानों को बनाने की जरूरत होगी और यह सब करने के बाद हमे अंतरराष्ट्रीय बाजार में दस्तक देना होगा जहां हमारे सामानों का खपत होगा चूंकि भारत में बनने वाले सामानों को विश्वसनीय नजरिए से देखा जाता है इसके अलावां भारत के गांवों में बनने वाले देशी सामानों का भारत के शहरों के साथ दुनिया भर के बाजारों में मांग होती है इसलिए इस बात का संकट नही होगा कि हमारे सामानों का खपत कहाँ होगा. यदि इस बात पर विचार किया जाए तो निश्चित तौर पर हम एक मजबूतअर्थव्यवस्था के साथ शक्तिशाली देश के नाम से दुनिया भर में अपना परचम लहरा सकते हैं। अन्यथा, गरीबी ,बेरोजगारी और लाचारी अगले 50 सालों तक भारत से खत्म होने वाली नही है।

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