अदभुद रहस्यो का भण्डार है बीस एकड़ में फैला बस्ती के महुआडाबर का टीला - तहक़ीकात समाचार

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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

अदभुद रहस्यो का भण्डार है बीस एकड़ में फैला बस्ती के महुआडाबर का टीला

  केसी श्रीवास्तव और सुशील कुमार की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखन‌ऊ  से 195 किलोमीटर दूर बस्ती जनपद के गौर ब्लाक के अंतर्गत में ऐतिहासिक ग्राम भुइलाडीह , महुआडाबर स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी भगवान सिंह की पावन जन्मभूमि हैं ।

इस ग्राम में लगभग 20 एक‌ड़ में फैला एक टीला है, जो तमाम अद्भुत रहस्यो को अपने गर्भ में छिपाए हुये है ,एक तरफ जहां यह रहस्यमयी स्थल बौद्ध कालीन युग की तस्वीर पेश करता है, वहीं खुदाई में मिली लम्बी लम्बी तलवारें पूर्वजों के पराक्रम की याद ताजा करते हैं । खुदाई में ग्रामीणो को मिले 7 फिट तक के मिले नर कंकाल इस बात की साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि यहां के निवासी काफी लम्बे चौ‌ड़े एवं तन्दुरुस्त होते थे । यहां पर मौजूद प्राचीन शिव मन्दिर एवं अति प्राचीन शिव मन्दिर इस बात का संकेत देते हैं कि यहां के निवासियों के अराध्य भगवान शिव थे , टीले की खुदाई में ग्रामीणों को मिली साफ सुथरी सड़कें गलियां यह बताते हैं कि उस काल में यह स्थल बहुत ही सुरम्य रहा होगा । यहां के निवासी काफी शिक्षित एवं संस्कारवान रहे होंगे । निश्चय ही यह टीला अपने गर्भ में अपार रहस्यो को छिपाये बैठा है ,यदि पुरातत्त्व विभाग इस स्थल की खुदाई कराये तो निश्चय ही‌ हमें 3000 साल पहले की मानव सभ्यता का ‌ज्ञान होगा ,महुआडाबर के पूर्व प्रधान श्री शैलेन्द्र सिंह एवं इतिहास बिद श्री कमलेश सिंह ने तहकीकात टीम को बताया कि हम लोग इस प्रयास में लगे हुये है कि अपार रहस्यो को अपने अन्दर  छिपा कर यह टीला अब गुमनाम ना रहने पाए , इन लोगों ने बताया कि हम लोगो के प्रयास से पूर्व मंडलायुक्त  विनोद शंकर चौबे यहां का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं श्री चौबे  के प्रयास से पुरातत्त्व विभाग की टीम भी दौड़ा कर चुकी है ।

जनवरी 2019 में गोरखपुर के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी  की अगुवाई में पुरातत्व विभाग की टीम ने टीले पर पहुंच कर स्थलीय निरीक्षण किया था। इस बीच ईंट, बर्तन के टुकड़े व सिलबट्टे भी मिले थे क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया था कि ईंट व बर्तन के जो टुकड़े मिले है वह 600 ईसा पूर्व से लेकर 1250 तक के है। इन अवशेषों से पता चल रहा है लगभग 2600 वर्ष पूर्व यहां एक बहुत बड़ा नगर रहा होगा। यदि इसकी खुदाई हुई तो निश्चित रूप से इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति व इतिहास का पता चल सकेगा। स्थलीय निरीक्षण मे जो ईंट व बर्तन के टुकडे मिले हैं वे मौर्य काल से लेकर मध्य काल तक के है।

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