बीजेपी ने 2018-19 में भ्रष्टाचार से कमाये 1450 करोड़ रुपया,दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

सोमवार, 13 जनवरी 2020

बीजेपी ने 2018-19 में भ्रष्टाचार से कमाये 1450 करोड़ रुपया,दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस

विश्वपति वर्मा-

चुनावी बांड जो एक तरह से भ्रष्टाचार के पैसे को खपाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा तैयार की गई योजना है इसके तहत पैसा देने वाले की पूरी जानकारी गुप्त रखी जाती है इस लिए यह राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार ही कहा जायेगा। 

 वित्त वर्ष 2018-2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कुल आय 2,410 करोड़ रुपये रही. पार्टी ने चुनाव आयोग को दी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है.टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-2018 में 1,027 करोड़ रुपये की आय की तुलना में इस बार भाजपा की आय में 134 फीसदी का इजाफा हुआ है.भाजपा की कुल आय का 60 फीसदी हिस्सा चुनावी बॉन्ड के जरिए इकट्ठा हुआ है. चुनावी बॉन्ड से ही भाजपा को 1,450 करोड़ रुपये की आय हुई है. वित्त वर्ष 2017-2018 में भाजपा ने चुनावी बॉन्ड से 210 करोड़ रुपये की आय होने का ऐलान किया था.इनमें से लगभग 60 फीसदी यानी 1,450 करोड़ रुपये की धनराशि चुनावी बॉन्ड के जरिए इकट्ठा की गई. 2018-2019 में भाजपा का कुल खर्च 1005 करोड़ रुपये से अधिक हुआ था, जो 2017-2018 में 758 करोड़ रुपये से 32 फीसदी अधिक है.


वहीं, 2018-2019 में कांग्रेस की कुल आय 918 करोड़ और कुल खर्च 470 करोड़ रुपये रहा. कांग्रेस को इस अवधि में चुनावी बॉन्ड से 383 करोड़ रुपये मिले, जो 2017-2018 में मिले पांच करोड़ रुपये की तुलना में बहुत अधिक है.यह जानकारी ऐसे समय में और महत्वपूर्ण हो जाती है जब विपक्ष, कार्यकर्ताओं और चुनाव आयोग की आलोचना के बावजूद सरकार ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री जारी रखी है.इस सप्ताह 13वीं बार चुनावी बॉन्ड की बिक्री का  ऐलान किया गया था और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की 29 शाखाओं के जरिए 13 से 22 जनवरी के बीच इनकी बिक्री की जाएगी.

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक, मार्च 2018 में चुनावी बॉन्ड की शुरुआत से लेकर अब तक एसबीआई 6,128 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की बिक्री कर चुका है. भाजपा को इससे सर्वाधिक लाभ हुआ है.वहीं, विपक्षी पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड को लागू करने में अपारदर्शिता की आलोचना की है. इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस पर इस महीने के अंत में सुनवाई होगी.मालूम हो कि पिछले कुछ समय में चुनावी बॉन्ड के संबंध में कई खुलासे सामने आए हैं जिसमें पता चला है कि आरबीआई, चुनाव आयोग, कानून मंत्रालय, आरबीआई गवर्नर, मुख्य चुनाव आयुक्त और कई राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस योजना पर आपत्ति जताई थी.हालांकि वित्त मंत्रालय ने इन सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को पारित किया. इस बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की पहचान बिल्कुल गुप्त रहती है.

आरबीआई ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में संशोधन करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इससे मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन मिलेगा और केंद्रीय बैंकिंग कानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा.वहीं, चुनाव आयोग और कई पूर्व चुनाव आयुक्तों ने चुनावी बॉन्ड की कड़ी आलोचना की थी. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर कर कहा था कि चुनावी बॉन्ड पार्टियों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता के लिए खतरनाक है.

ज्ञात हो कि चुनावी बॉन्ड पर कोई ब्याज नहीं लगता और इसे गोपनीय रूप से किसी भी राजनीतिक दल को दिया जा सकता है. ये बॉन्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख और एक करोड़ में जारी किए जाते हैं.सिर्फ एसबीआई ही चुनावी बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत है. दानकर्ता अपनी पसंदीदा पार्टी को बॉन्ड दे सकता है, जिसे बाद में पार्टियां 15 दिनों के भीतर अपने सत्यापित खातों के जरिए भुना सकती है.

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages