देश भर में हर रोज भ्रष्टाचार के नए नए मामले दर्ज किए जाते हैं जिसमे सुनवाई के दौरान कोई बच जाता है तो कोई फंस जाता है ऐसे ही एक राज्य सड़क परिवहन निगम के अंतर्गत काम करने वाले एक बस कंडक्टर के लिए थोड़ा सा लालच बेहद महंगा साबित हुआ है। एक यात्री को टिकट ना देकर सिर्फ 9 रुपये गलत तरीके से कमाने के कारण कंडक्टर को अपनी सैलरी में करीब 15 लाख रुपये का झटका लगा है।
कंडक्टर चंद्रकांत पटेल के खिलाफ शिकायत मिलने पर गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम ने जांच कमिटी बनाई। कमिटी ने चंद्रकांत को दोषी पाया। इसके बाद निगम ने पटेल को सजा देते हुए उनके मौजूदा वेतनमान को दो स्टेज घटा दिया है। ऐसे में उनका पे- स्केल अब काफी नीचे चला गया है। इतना ही नहीं निगम ने यह भी कहा कि अब वह स्थायी आधार पर एक निर्धारित वेतन पर अपनी बाकी सर्विस पूरी करेंगे।
2003 में सामने आया था यह मामला
बता दें कि 5 जुलाई 2003 को अचानक निरीक्षण के दौरान पटेल की बस में एक यात्री बिना टिकट पाया गया। यात्री ने अधिकारियों को बताया कि उसने कंडक्टर को 9 रुपये दिए थे, लेकिन उन्होंने टिकट नहीं दिया। इसके बाद कंडक्टर पटेल के खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई।
हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा
करीब एक महीने बाद कंडक्टर को दोषी पाया गया और उसकी सैलरी में कटौती कर दी गई। इसके बाद पटेल पहले औद्योगिक न्यायाधिकरण में गए और फिर हाई कोर्ट गए। पर, दोनों ही जगह उनकी सजा को बरकरार रखा गया और उनकी याचिकाएं खारिज हो गईं।
पहले भी आती रही हैं शिकायतें
दरअसल, हाई कोर्ट में कंडक्टर के वकील ने कहा कि इस मामूली जुर्म के लिए यह बड़ी सजा है। पूरी सर्विस को देखें तो पटेल को करीब 15 लाख रुपये का नुकसान होगा। उधर, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इससे पहले भी कंडक्टर पटेल करीब 35 बार लेखा- जोखा में गलती कर चुके हैं। उन्हें कई बार मामूली दंड और चेतावनी देकर छोड़ा चुका है।
कंडक्टर चंद्रकांत पटेल के खिलाफ शिकायत मिलने पर गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम ने जांच कमिटी बनाई। कमिटी ने चंद्रकांत को दोषी पाया। इसके बाद निगम ने पटेल को सजा देते हुए उनके मौजूदा वेतनमान को दो स्टेज घटा दिया है। ऐसे में उनका पे- स्केल अब काफी नीचे चला गया है। इतना ही नहीं निगम ने यह भी कहा कि अब वह स्थायी आधार पर एक निर्धारित वेतन पर अपनी बाकी सर्विस पूरी करेंगे।
2003 में सामने आया था यह मामला
बता दें कि 5 जुलाई 2003 को अचानक निरीक्षण के दौरान पटेल की बस में एक यात्री बिना टिकट पाया गया। यात्री ने अधिकारियों को बताया कि उसने कंडक्टर को 9 रुपये दिए थे, लेकिन उन्होंने टिकट नहीं दिया। इसके बाद कंडक्टर पटेल के खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई।
हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा
करीब एक महीने बाद कंडक्टर को दोषी पाया गया और उसकी सैलरी में कटौती कर दी गई। इसके बाद पटेल पहले औद्योगिक न्यायाधिकरण में गए और फिर हाई कोर्ट गए। पर, दोनों ही जगह उनकी सजा को बरकरार रखा गया और उनकी याचिकाएं खारिज हो गईं।
पहले भी आती रही हैं शिकायतें
दरअसल, हाई कोर्ट में कंडक्टर के वकील ने कहा कि इस मामूली जुर्म के लिए यह बड़ी सजा है। पूरी सर्विस को देखें तो पटेल को करीब 15 लाख रुपये का नुकसान होगा। उधर, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इससे पहले भी कंडक्टर पटेल करीब 35 बार लेखा- जोखा में गलती कर चुके हैं। उन्हें कई बार मामूली दंड और चेतावनी देकर छोड़ा चुका है।