बिहार शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट के अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई और उन्हें दिन भर के लिए कोर्ट के एक कोने में बैठने की सजा दी. इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से जाकर आग्रह किया कि CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने काफी सज़ा भुगत ली है, अब उन्हें जाने दिया जाए. कोर्ट ने कहा, 'यह आपका दंड है...आपसे कहा गया है, कोर्ट उठने तक बैठे रहें...क्या आप चाहते हैं कि हम कल कोर्ट उठने तक आपकी सज़ा बढ़ा दें...?" कोर्ट के सख्त रुख के बाद नागेश्वर राव और भासुरन चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गए. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगित होने बाद नागेश्वर राव सजा पूरी करके कोर्ट से बाहर निकल गए।
बता दें कि बिहार शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट के अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई और उन्हें दिन भर के लिए कोर्ट के एक कोने में बैठने की सजा दी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि नागेश्वर राव को पता होना चाहिए था कि बिहार शेल्टर मामले के उस वक्त के जांच अधिकारी ए के शर्मा को हटाने से क्या असर होगा. राव को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार देंगे. एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए, और दूसरी तफर वो शर्मा का रिलीविंग ऑर्डर साइन कर देते हैं. चीफ जस्टिस ने कड़े लहजे में कहा कि अगर एक दिन बाद रिलीविंग ऑर्डर साइन होता तो क्या आसमान टूट पड़ता?