ये आजादी झूठी है क्योकि देश की जनता भूखी है. - तहक़ीकात समाचार

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रविवार, 10 फ़रवरी 2019

ये आजादी झूठी है क्योकि देश की जनता भूखी है.

विश्वपति वर्मा_
आप अगर सोचते हैं कि देश आजाद हो चुका है तो आप गलत सोचते हैं.आजादी तो देश को मिली है लेकिन यह आजादी मात्र उन्हीं के लिए है जिनके पास धन है. अभाव में आज भी बड़ी संख्या में लोग जी रहे हैं और उनके लिए देश आजाद नहीं हुआ है.आज भी देश की एक बड़ी आबादी शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, पानी एवं आवास जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है इतना सब कुछ होने के बाद यह कैसे माना जाए कि भारत के लोग आजाद हैं।
आपके सामने हम ऐसी 5 निशानियाँ रख रहे हैं जो सिद्ध कर देंगी कि हिन्दुस्तान गुलाम था, गुलाम है और शायद गुलाम रहेगा-
1.  गुलाम है संसद हमारी
सबसे पहली निशानी यही है कि हमारी संसद आज तक आजाद नहीं हो पाई है. याद कीजिये गांधी जी ने इंग्लैंड की संसद को एक समय क्या बोला था? उन्होंने तब कुछ वेश्या जैसे शब्द का उनकी संसद के लिए उपयोग किया था. लेकिन आज भी हमारी संसद उन्हीं के मॉडल पर चल रही है. बीते कुछ दिनों से संसद में देखने को मिला है कि रफायल ,गाय, हिंदुत्व,तीन तलाक, नागरिकता बिल के अलावां कोई चर्चा नही हो रही है ,जबकि गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसा कलंक देश के नागरिकों को घेरे हुआ है ,वंही दूसरी तरफ देश के निचली इकाई में यानी कि ब्लॉक ,तहसील एवं थाने पर भ्रष्टाचार बढ़ गया है इतना ही नही ,मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया के नाम पर देश का बड़ा खजाना बर्बाद हो रहा है जिसमे सत्ताधारी तो मजा काट रहे हैं लेकिन उसमे विपक्षियों द्वारा भी कोई आवाज नही उठाया जाता।
यानि की हम भी घोटाले करते हैं आप भी कर लीजिये लेकिन कुछ बोलिए मत. तो इस ब्यान से साफ़ पता चलता है कि आज हमारी ये संसद गोरों के हाथ से निकलकर, देशी लोगों के हाथ में गिरवी रखी हुई है. संसद पहले भी गुलाम थी और आज भी गुलाम है. तब कैसे बोल सकते हो कि देश आजाद है.

2.  संविधान गुलाम है
संविधान में जो बातें लिखी गयी हैं, उनको आप इंग्लैंड, अमेरिका और रूस के संविधान में जस का तस देख सकते हैं. अधिकार से लेकर कर्तव्य तक, सभी कुछ जैसे मात्र कॉपी किया हुआ है. संविधान में आज भी इस तरह की कई बातें लिखी हुई हैं कि जो हमारी आजादी को हमसे छीन लेती हैं. कई बार तो ऐसा लगता है जैसे कि यह संविधान हमारा है ही नहीं.
3.  न्यायालय अमीरों के हक़ में हैं
गरीब को आज भी न्याय नहीं मिल पा रहा है और अमीर जुर्म करने के बाद भी बाइज्जत बरी हो रहे हैं. हमारी मज़बूरी है कि हम किसी एक केस को सामने लाकर इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते हैं. लेकिन ऐसे हजारों केस हैं जहाँ पर गरीब न्याय की उम्मीद में मर जाता है लेकिन उसको न्याय नहीं मिलता है. ऐसे में जब न्यायालय ही अभी कैद में है तो कैसे बोला जा सकता है कि हम आजाद हो गये हैं.
4.  शिक्षा नीति आज भी अंग्रेजों की गुलाम है
जो देश आज भी विदेशी लोगों का लिखा हुआ इतिहास पढ़ रहा हो उसे आजाद समझने की गलती तो एक बच्चा भी नहीं करेगा. अंग्रेज सोच-समझ कर ऐसी शिक्षा देश को देकर गये, जो युवाओं को नौकर बनाने वाली थी. जो किताबी ज्ञान हम पढ़ते हैं उनका प्रयोग कहीं नहीं होता है. आंकड़ों की बात करें जो देश के 55 प्रतिशत युवा जो डिग्री लेते हैं, उसमें वह अपना करियर नहीं बना पाते हैं. तो क्या इसे आप आजादी मानेंगे?
5.  हमारी अर्थव्यवस्था गुलाम है
पहले बोला गया कि इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था भारत ले लिए अच्छी है उसके बाद रूस की अर्थव्यवस्था को हम पर थोप दिया गया और आज अमेरिका की अर्थव्यवस्था की और भारत बढ़ रहा है. लेकिन भारत की अपनी ताकत और तासीर को कोई समझ नहीं पाया है. अगर देश का सोना गिरवी है और एक देश कर्ज में है तो तो क्या आप उस देश को आजाद बोलेंगे.
तो अब इन सभी बातों के आधार पर, आप सोचिये कि जब तक देश के सबसे निचले व्यक्ति को न्याय नहीं मिलेगा, उसे रोटी, कपड़ा, मकान नहीं मिलेगा तब तक क्या यह देश आजाद समझा जा सकता है?असल में भारत आजाद हुआ ही नहीं है, अंग्रेजों के हाथ से निकलकर, आज हम कुछ चंद देशी लोगों की गुलामी कर रहे हैं.
यदि युवाओं की यह पीढ़ी इन सब को समझने के अलावां उनकी चापलूसी में व्यस्त हो जाएंगे तो समझ लो भारत गुलाम था, गुलाम है और शायद गुलाम रहेगा।

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