पुलवामा आतंकी हमले में जवान की जुबानी ,कैसे कैसे मातम में बदल गई खुशियां - तहक़ीकात समाचार

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रविवार, 17 फ़रवरी 2019

पुलवामा आतंकी हमले में जवान की जुबानी ,कैसे कैसे मातम में बदल गई खुशियां

Pulwama Terror Attack: वेलेंटाइन डे जवानों के बीच बहुत लोकप्रिय नहीं है, फिर भी श्रीनगर में ड्यूटी पर वापस लौट रहे सीआरपीएफ (CRPF) की 76वीं बटालियन के 2500 से ज्यादा जवानों के लिए जम्मू से 2.33 बजे तड़के बस लेना यादगार अनुभव था-जो कि कुछ ही घंटों बाद सबसे दुखद घटना में तब्दील हो गया. सीआरपीएफ के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 78 वाहनों (इसमें 16 वाहनों को जोड़ा गया, जब यह दोपहर 2.15 बजे काजीगुंड पहुंचा) के काफिले को लगभग वीरान सड़क से भेजना असमान्य था. सुरक्षा के दृष्टिकोण से, यह एक आदर्श रणनीति होती क्योंकि पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात नगण्य था. काफिला घटना से केवल एक घंटे दूर-काजीगुंड से करीब 60 किलोमीटर पर पुलवामा के लाथपोरा में था.
ऐसा प्रतीत होता है कि काफिले की सुरक्षा को करीब-करीब हरी झंडी दी गई थी. सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी (रोप) रोज सुबह आईईडी की उपस्थिति को जांचने के लिए राजमार्गो की जांच करती है. क्षेत्र में सेना की बहुलता है और राजमार्गो पर हमेशा तत्काल प्रतिक्रिया समूह मौजूद रहता है.
                 प्रतीकात्मक तस्वीर
काफिला जैसे ही श्रीनगर से 27 किलोमीटर पहले लेथपोरा पहुंचा, एक पीछा कर रही विस्फोटक से भरी कार ने काफिले के पांचवी बस को बांयी तरफ से टक्कर मार दी. विस्फोट में दूसरे बस को भी नुकसान पहुंचा. क्षेत्र में गोलीबारी की आवाज सुनी गई, लेकिन कोई नहीं जानता यह गोलीबारी किसने की. अब शहीद जवानों की संख्या 49 तक पहुंच गई है और कम से कम दर्जन से ज्यादा घायल हैं.

काफिले में मौजूद सीआरपीएफ के एक जवान ने कहा कि जबरदस्त धमाके ने सभी को चौंका दिया. वहां केवल अफरा-तफरी और भ्रम की स्थिति थी-मैं वहां केवल धुआं देख पा रहा था. उन्होंने कहा, "हमें हमारे वाहनों में वापस जाने के लिए कहा गया."

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