60 साल बाद घर लौटे शिवपूजन, अब परिवार रजिस्टर में नाम जुड़वाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे
सौरभ वीपी वर्मा
तहकीकात समाचार
बस्ती -करीब 60 साल पहले सौतेली मां की प्रताड़ना से तंग आकर घर छोड़ने वाले शिवपूजन आखिरकार अब अपने गांव लौट आए हैं। लेकिन अपनी पहचान साबित करने और अधिकार पाने की लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है।
बस्ती जिले के सोनहा थाना क्षेत्र के अमरौली शुमाली के टोला रामनगर गांव के मूल निवासी शिवपूजन करीब 18 साल की उम्र में घर छोड़कर कहीं दूर चले गए थे। वर्षो तक लापता रहे शिवपूजन को एक समाजसेवी संस्था ने सहारा दिया और गांव तक वापस पहुंचाया। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने उनकी पहचान भी की और बताया कि वे ही शिवपूजन हैं।
शिवपूजन इस समय अपने पटीदार जगनरायन वर्मा के पास रह रहे हैं। लेकिन अब उन्हें परिवार रजिस्टर में अपना नाम जुड़वाने के लिए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सरकारी कागजों में उनका नाम दर्ज न होने के कारण न तो उन्हें कोई सरकारी सुविधा मिल पा रही है और न ही पहचान का कोई प्रमाण।
पटीदार जगनरायन वर्मा का कहना है कि शिवपूजन को उन्होंने बचपन से देखा है और उन्हें पूरा गांव जानता-पहचानता है, बावजूद इसके नाम दर्ज कराने के लिए तरह-तरह की औपचारिकताएं और प्रमाण मांगे जा रहे हैं।
अब सवाल ये है कि जब गांव, रिश्तेदार और परिवार खुद उनकी पहचान कर चुका है, तब कागजों में नाम जुड़वाने के लिए एक बुजुर्ग को क्यों दर-दर भटकना पड़ रहा है?
शिवपूजन की यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है जो कभी हालात से मजबूर होकर अपनी जड़ों से दूर हो गए और जब वापस लौटे तो कागजों में उन्हें 'ग़ैर' बना दिया गया।
लोगों ने प्रशासन से अपील है कि शिवपूजन जैसे मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए त्वरित कार्यवाही की जाए, ताकि उन्हें उनका हक और पहचान मिल सके।