किसी देश में जीव जंतुओं का संरक्षण करना कोई बुराई का कार्य नही है लेकिन जहां प्राथमिकताओं को दरकिनार कर ओछी राजनीति के धुरंधर नेता बेबुनियाद कार्यों पर बल देते हैं वहां सवाल तो खड़ा ही होता है ।ये इतिहास के निरंकुश पन्ने पर लिखा जाएगा की ज़ब भारत मे गाय सड़को पर दम तोड़ रही थीं तब उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेश से चीते लेकर आए थे और सेल्फी लेने मे व्यस्त और मस्त थे तब उसी दिन देश में हजारों गाय चिते पर थीं।
चीतों के लिए स्पेशल जहाज उड़वाने वालों को याद दिलाना चाहते हैं, कि "गाय" सिर्फ चुनाव जीतने का जरिया नहीं है, गाय भयंकर रोग से ग्रस्त होकर मर रही है लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पास अभी तक इनको बचाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया गया ।
यह ध्यान देना होगा कि जब भारत में 8 चीतों को लाने के लिए करोड़ो रुपया खर्च किया गया तब भारत में 82 हजार से ज्यादा गाय लंपी वायरस के चपेट में आकर दर्दनाक मौत का शिकार हो गईं।वहीं 9 लाख से ज्यादा गाय वायरस की चपेट में हैं।