शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

देश में नकली वादों के चलते हाशिए पर जा रहे यहां के नागरिक

सौरभ वीपी वर्मा
समग्र एवं समेकित विकास की बातें सरकारों द्वारा लगातार की जा रही हैं लेकिन भारत के गांव लगातार उपेक्षित होते हुए जा रहे हैं । भारत के गांव में रहने वाले नागरिकों की हालात लगातार हाशिए पर जाती हुई दिखाई दे रही है । यहां के किसानों , बेरोजगारों और मजदूरों के साथ मजदूर किसानों की हालत बद से बदतर होती हुई दिखाई दे रही है । भारत के गांव में बनाए गए सरकारी संस्थाओं की लगातार स्थिति खराब होती जा रही है , गांव में उप केंद्र , सामुदायिक केंद्र , सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , मिनी सचिवालय ,प्राथमिक पाठशाला का निर्माण करवाया गया है लेकिन 7 दशक बीत जाने के बाद भी भारत के गांव में बने इन सरकारी संस्थाओं में बुनियादी सुविधाओं का ढांचा मजबूत नहीं हो पाया है । आज भारत के गांव में रहने वाले लोगों के पास शिक्षा और चिकित्सा जैसे मूलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव है यहां के लोगों में मूल्यपरक ज्ञान की कमी है । यहां के किसानों के पास अत्याधुनिक संसाधनों की कमी है बेरोजगारों के पास रोजगार की कमी है और हम चाय की दुकान पर बैठकर सरकारों के बारे में नकली आलोचना और प्रशंसा करते रहते हैं । सही मायने में इस देश के युवाओं को देश और प्रदेश की सरकारों के बारे में सकारात्मक आलोचना करनी चाहिए । सरकार के कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए उसके द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर समीक्षा करनी चाहिए । साथ ही साथ  गरीबी , बेरोजगारी ,महंगाई एवं बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर चिंता करते हुए देश के नागरिकों की दशा और दिशा के बारे में भी समीक्षा करनी चाहिए ऐसा ना करने से हम किसी देश में एक भीड़ का हिस्सा ही बनकर रह जाएंगे ।

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