जब भी देश में मोदी सरकार के कार्यों एवं धन के खर्चे का ऑडिट होगा तो देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का दौर मोदी सरकार का सामने आएगा
मोदी सरकार कहती है कि हम देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रहे हैं , यह बात सही भी है कि मोदी सरकार ने कोरोना काल के बाद से अभी तक मुफ्त राशन बांटे हैं लेकिन जब आंकड़े सामने आए तो पता चला कि 80 करोड़ नही मात्र 42 करोड़ लोग ही इस देश में राशन लिए हैं ।
यानी कि स्पष्ट है कि मोदी सरकार अपनी राजनीति चमकाने के लिए झूठ बोल कर देश को दुनिया के सामने गरीब घोषित कर दिया।
जो सरकार यह कह रही है कि हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रहे हैं ,किसान सम्मान निधि दे रहे हैं ,उज्वला योजना के तहत मुफ्त राशन दे रहे हैं , जन धन खाताधारकों को पैसा दे रहे हैं , विधवाओं एवं बुजुर्गों को पेंशन दे रहे हैं उसके अलावा मनरेगा में रोजगार दे रहे हैं। इन सब योजनाओं में सरकार के पूरे खर्चे का विवरण यदि देखा जाये तो कुल साढ़े चार लाख करोड़ बैठता है ।
लेकिन वहीं यदि 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों ,सांसदों एवं विभागों के खर्चे की बात करें तो यह 5 लाख 65 हजार करोड़ होता है ।यानि कि 100 करोड़ भारतीयों को गरीब बताकर उनके मद में साढ़े चार लाख करोड़ का खर्चा दिखाया जा रहा है जबकि 2 लाख से कम लोगों पर 5 करोड़ 65 लाख खर्च किया जा रहा है।
यह आंकड़े बताते हैं कि देश में गरीबी दिखा कर शिक्षा ,स्वास्थ्य एवं रोजगार के मुद्दे से सबको भटका कर पांच किलो मुफ्त अनाज पर 100 करोड़ लोगों को गुमराह करने का काम किया जा रहा है।