बस्ती-जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बकरी का बाड़ा बन गया डॉक्टर अंबेडकर सामुदायिक भवन - तहक़ीकात समाचार

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गुरुवार, 19 अगस्त 2021

बस्ती-जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बकरी का बाड़ा बन गया डॉक्टर अंबेडकर सामुदायिक भवन

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- : जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के पिटाउट ,परसाखाल ,कोरियाडीह एवं हसनापुर समेत दर्जनों ग्राम पंचायत में बना डॉक्टर अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते ग्रामीणों के कोई काम नहीं आ रहा है. तत्कालीन बसपा सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर ग्रामीणों के लिए इसका निर्माण कराया था, लेकिन ये आज तक किसी के भी काम नहीं आया. 
सरकारें गांवों में ग्रामीणों को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते सरकार की योजनाओं पर पानी फिर जाता है. बसपा शासन में करीब डेढ़ दशक पूर्व चयनित अम्बेडकर गावों में ग्रामीणों के लिए अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र बने थे. इनके निर्माण का मुख्य उद्देश्य गांव के ग्रामीणों को बैठक, सामाजिक कार्यक्रमों, पटवारी, लेखपाल आदि के लिए एक समुचित स्थान उपलब्ध करवाना था.

तत्कालीन बसपा सरकार ने भी नहीं दिया ध्यान

तत्कालीन बसपा सरकार ने लाखों खर्च करके भवन का निर्माण कराया था. लेकिन, सरकार ने यह नहीं देखा कि जो सामुदायिक केंद्र लाखों खर्च करके उसने बनवाया है, वह ग्रामीणों के उपयोग में आ भी रहा है या नहीं. बसपा सरकार के बाद आईं दूसरी सरकारों ने भी डॉ. अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र की ओर ध्यान नहीं दिया.

प्रयोग में न रहने और देख-रेख के अभाव में सामुदायिक केंद्र की इमारत जर्जर होना शुरू हो गई है. वहीं, भवन में लगी लाइट की फिटिंग उखड़ गई और कमरे में लगे पंखे भी चोरी हो चुके हैं ,इसके अलावा भवन में जितने भी संसाधन लगाए गए थे वह सब गायब हो चुका है।

तुरकौलिया के सामुदायिक भवन में बकरियों का बसेरा
विकासखंड के पिटाउट ग्राम पंचायत के अंतर्गत तुरकौलिया गांव में बनाए गए सामुदायिक भवन की स्थिति दयनीय हो गई है। तुरकौलिया गांव की पश्चिम छोर पर बनाए गए भवन में टाइल्स ,दरवाजे ,खिड़की ,बिजली ,पंखा सहित बहुत कुछ लगाया गया लेकिन तत्कालीन प्रधान द्वारा भवन निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उसे ग्राम पंचायत को हैंडओवर करने से मना कर दिया गय जिसके बाद आज तक ना तो भवन ग्राम पंचायत को हैंडओवर हो पाया और ना ही वह किसी काम के रह गया स्थिति यह है कि इस भवन में अब बकरियों का बसेरा होता है।

ऐसी लापरवाही को देखने के बाद सबसे बड़ा सवाल पैदा होता है कि इस तरह का भवन विभागीय अधिकारियों और सरकार द्वारा मात्र कमीशन खोरी के उद्देश्य बनाया जाता है या फिर ग्रामीणों को इसका लाभ भी मिलेगा ? जनता का कहना है इस तरह का भवन बनाने से क्या फायदा जिसके उद्देश का आज तक पता ही नहीं चल पाया । गांव के लोगों का कहना है कि जो भवन बनाए गए हैं ना तो आज तक उस में किसी प्रकार का बैठक हुआ ना तो किसी के प्रयोग में आया कारण यह है कि आज तक किसी को बताया ही नही गया कि इसका निर्माण हुआ किस लिए है।
 दोनो तस्वीर सामुदायिक भवन तुरकौलिया की है

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