सौरभ वीपी वर्मा
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का आगाज हो गया है । 2022 में चुनाव होना है , प्रदेश की जनता मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार से सवाल क्यों न पूछे कि जब सरकारी आंकड़ों में मात्र 22224 लोगों की मौत कोरोना से हुई है तो आखिर यूपी सरकार ने मात्र 4 -4 लाख का मुआवजा क्यों नही दे पाई ? जबकि लगभग 900 करोड़ रुपया खर्च करने भर से सभी को मुआवजा दिया जा सकता है।
सच तो यह है कि बेबुनियाद मुद्दों पर बहस करने वाली सरकार और बंदरबांट के माध्यम से पार्टी कार्यालय से लेकर के पार्टी नेताओं को मजबूत करने वाली सरकार आम नागरिकों के हित में काम नहीं कर रही है । फ्रंट वर्कर के तौर पर इस प्रदेश की सफाई कर्मचारी ,मेडिकल कर्मचारी ,डॉक्टर ,बिजली मैन चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षक , पुलिस के जवान अन्य कर्मचारियों आदि लोगों ने आगे बढ़कर करुणा से जूझ रहे देश और प्रदेश में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है । लेकिन इन लोगों को मुआवजा देने की बात आई तो भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कह दिया कि हमारे बस की बात नहीं है कि हम चार -चार लाख का मुआवजा कोरोना से मरने वाले लोगों को दे पाएं ।
अब आप सोचिए-समझिए,विचार कीजिए एवं अध्ययन कीजिए कि मौजूदा भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के नागरिकों के लिए कितना हमदर्द है ।देश प्रदेश के लोगों को उम्मीद होती है जब उनके परिजन किसी महामारी या दुर्घटना में मारे जाते हैं तो सरकार उनकी मदद करेगी लेकिन मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मुआवजा देने की बात आई तो हाथ खड़ा कर दिया ।
नैतिकता और मानवता के आधार पर सरकार को कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजन को मुआवजा राशि देना चाहिए । जिन लोगों की मौत हुई है वह इस प्रदेश के नागरिक हैं इस देश के नागरिक हैं । जरा विचार कीजिए यदि उनके घर में कमाने के लिए कोई और लोग ना हो तो उस घर का खर्चा कैसे चलेगा जिसने अपनी बेटी ,बेटा ,बाप ,भाई ,बहन आदि को खो दिया है