विश्वपति वर्मा(सौरभ)
21वीं सदी के 2021 में बेतहाशा गरीबी और लाचारी झेलने वाले भारत के बारे में बस आप इतना जानते हैं कि हमारे देश का प्रधानमंत्री दुनिया में परचम लहराया है ,लेकिन सच यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिधानों के अलावा कोई परचम नही है ।
जरा आप सोचिए कि जब पूरी दुनिया कोविड-19 जैसे महामारी से झेल रही थी तब भारत सरकार के अलावा दुनिया भर के कई देशों और संगठनों द्वारा भारत को अपने देश में मेडकिल संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का सहयोग दिया गया वहीं भारत सरकार ने भी 20 हजार करोड़ 86 हजार करोड़ एवं 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज बनाया लेकिन देश के किसी भी कोने में अस्पताल और अस्पताल के संसाधनों के नाम पर कोई व्यवस्था नही की गई।
महामारी से निपटने के लिए भारत को इंटनेशनल मॉनेटरी फंड ,वर्ड बैंक ,एशियन डेवलपमेंट बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लगभग 53 हजार करोड़ रुपये का सहयोग दिया गया लेकिन भारत सरकार ने ये पैसा कहाँ खर्च किया उसके पास इसका कोई हिसाब किताब नही है।
भले ही 53 हजार करोड़ रुपये का पैकेज आपको छोटा लगे लेकिन 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक सुधारों वाला फंड कहाँ गया इसकी जवाबदेही भी भाजपा ,मोदी और शाह के पास नही है , सच तो यह है कि कारपोरेट घरानों का ख्याल रखने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों को फलने फूलने में सहयोग देती रही है , मौजूदा सरकार का ध्यान ना तो खुद के अस्पतालों को बनाने का रहा है और ना ही सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को सुनिश्चित करने का ,दूसरा सच यह भी है कि भारत में अस्पतालों का जितना बुरा हाल है उसमें देश के बहुसंख्यक गरीब और असहाय आबादी को इलाज के अभाव में मरना निश्चित है ,पीएम मोदी और शाह जैसे लोग एम्स और प्राइवेट अस्पतालों में जाकर मरने से बच जाएंगे लेकिन इलाज के लिए गरीब आदमी की परछाई भी प्राइवेट अस्पतालों के दरवाजे पर नही पहुंच पाएगी ।