बस्ती - किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगे हैं अमित शाह और देश की मौजूदा सरकार-जयंत चौधरी - तहक़ीकात समाचार

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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

बस्ती - किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगे हैं अमित शाह और देश की मौजूदा सरकार-जयंत चौधरी

बस्ती - राष्ट्रीय लोकदल के जिला इकाई के आह्वान पर   राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी आज रूधौली में  किसानों के बीच पहुँचे इस बीच किसानों ने रैली में पहुंच कर अपने नेता का भरपूर समर्थन किया।

रुधौली में किसान पंचायत को संबोधित करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि आज पूरे देश में ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ आंदोलन को चलाने वाले सरदार अजीत सिंह की जयंती को मनाया जा रहा हैं। जयंत चौधरी ने सरदार अजीत सिंह  को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 1907 में शुरू हुआ 'पगड़ी सम्भाल जट्टा’ आंदोलन भी अंग्रेजो द्वारा लाए गए तीन क़ानूनों के विरूद्ध ही था।  
उन्होंने कहा कि जैसा आज आंदोलन लड़ा जा रहा हैं और वह क़ानून भी किसानों से उनके ज़मीन पर अधिकार को ख़त्म करने और 25% टैक्स लगाने के विरोध में था उस क़ानूनों को नौ महीने लम्बे चले आंदोलन के बाद अंग्रेज़ी हुकूमत को वापिस लेना पड़ा ठीक ऐसे ही ये सरकार भी झुकेगी। 

जयंत चौधरी ने पूरे देश में हो रही किसान पंचायतों के बारे में कहा कि ये पंचायतें सरकार को संदेश दे रहीं हैं, जिसको अनसुना करना सरकार के लिए ठीक नही रहेगा। 

जयंत चौधरी ने कहा कि अमित शाह और सरकार इस आंदोलन को शुरू से बदनाम करने पर लगे हैं वे कभी इसको खालिस्तानियों का बताते हैं कभी सिर्फ़ पंजाबियों का और अब सिर्फ़ जाटों का बताने की कोशिश कर रहे हैं  लेकिन मैं उनको बता देना चाहता हूँ कि ये आंदोलन किसी जाति का नही बल्कि समूचे देश के किसानों का आंदोलन हैं। 

सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि कल मुजफ्फरनगर के गाँव सोरम में किसानों द्वारा किसान एकता ज़िंदाबाद के नारे लगाने के बाद भाजपा के सांसद ने किसानों को पिटवाया, गाँव की महिलाओं के साथ बदतमीज़ी की गई। क्या किसान इन हमलों पर चुप बैठ सकता हैं? 

जयंत चौधरी ने आगे कहा की हरियाणा सरकार में मंत्री जेपी दलाल किसानों की शहादतों का उपहास उड़ाते हैं इसलिए चाहे किसान का खून बह जाए इनको कोई फ़र्क़ नही पड़ता इन्हें बस कुर्सी प्यारी हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी के संसद में दिए बयान पर जयंत चौधरी ने कहा कि वे किसानों को आंदोलनजीवी कह रहे हैं ,फिर तो कबीरदास, डॉक्टर अम्बेडकर, महात्मा गांधी, चौधरी चरण सिंह भी आंदोलनजीवी थे। इसलिए हम सब आंदोलनजीवी हैं। प्रधानमंत्री किसानों को परजीवी भी कहते है पर क्या वो किसान परजीवी हो सकता हैं जिसने हमेशा से दुनिया का पेट भरा हो?

प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भले ही कोई अब तक मोदी जी को नही समझ पाया हो पर मैं उन्हें समझ गया हूँ ,मोदी जी पर एक धुन सवार हैं वो सब कुछ अपने नाम से चाहते हैं जिसके कारण जो सत्तर साल से संस्थाए बनी हैं, सबको ख़राब करके दोबारा बनाना चाहते हैं लेकिन बंनाने की कबलियत उनमे नही हैं। इसलिए नोटबंदी के समय ग़रीबों को सपना दिखाया कि अमीरों से लेकर ग़रीबों में पैसा बाँटा जाएगा  मैं पूछता हूँ क्या नोटबंदी से आज तक किसी को कोई फ़ायदा हुआ? 

जयंत चौधरी ने सेना से रिटायर्ड गरमुख सिंह  का भी ज़िक्र किया और कहा क्या किसानों के लिए लंगर चलाना गुनाह हैं क्या? और एक सेना का जवान जिसने तीन लड़ाई लड़ी हो वो देश विरोधी हो सकता हैं? साथ ही पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाते हुए अपील की कि किसी अनैतिक आदेश को पुलिस के हमारे भाइयों को मानने से इनकार कर देना चाहिए। 

जयंत चौधरी ने 2010 में मोदी जी द्वारा सुझाई गई रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब उस समय मोदी जी MSP पर क़ानून के पक्ष में थे तो आज वे विरोध में क्यों हैं?  क्यों MSP को क़ानूनी दायरे में नही लाया जाए? 

जैसा कि हर पंचायत में होता हैं इस पंचायत में भी कुछ फ़ैसले लिए गए 

1-जो निर्दोष किसान शहीद हुए हैं उनका सम्मान हो। पत्रकारों के विरूद्ध अनैतिक कार्यवाही बंद हो। 
2- जब तक तीन क़ानून वापिस नही होते किसान आंदोलन को बल देने के लिए हर परिवार इस आंदोलन में शामिल हो। 
3- मंडी व्यवस्था में सुधार हो ,कोई भी ख़रीद MSP से नीचे नही होनी चाहिए, चाहे कोई भी ख़रीदे। 
4- जिस प्रकार किसानों के मार्ग में दिल्ली में कीले लगाई गई, किसान का अपमान किया गया, उसका बदला वोट की चोट से लिया जाये।

इस पंचायत को बनाने के लिए सदर विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी राजा ऐश्वर्य राज सिंह ने जनपद भर से आये हुए किसानों को धन्यवाद दिया और कहा कि किसानों की लड़ाई में हम और हमारी पार्टी साथ खड़ी है।

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